- विभागीय सचिव के आदेश का अनुपालन नहीं होना बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़
- शिक्षकों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करना बंद करे विभाग : संयुक्त शिक्षक मोर्चा
रांची। झारखंड प्रदेश संयुक्त शिक्षक मोर्चा की कोर कमेटी की बैठक अरगोड़ा चौक स्थित शांति निवास में मोर्चा के प्रदेश संयोजक अमीन अहमद की अध्यक्षता में हुई। इसमें मुख्यरुप से राज्य के विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षण सुनिश्चित कराने के लिए मोर्चा के पदधारियों ने मंथन करते हुए विभागीय अदूरदर्शिता को उजागर किया।
मोर्चा के प्रदेश संयोजक अमीन अहमद और प्रदेश प्रवक्ता अरुण कुमार दास ने कहा कि स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव उमा शंकर सिंह ने 11 अप्रैल, 2025 को राज्य के 8788 एकल शिक्षकीय विद्यालयों में शिक्षकों का पदस्थापन 25 अप्रैल, 2025 तक करने का विभागीय आदेश जारी किया गया था। हालांकि आज तक इसका अनुपालन नहीं हुआ है। इसके अतिरिक्त राज्य के अधिकांश सरकारी विद्यालयों में आरटीई 2009 के अनुरूप छात्र-शिक्षक अनुपात (30 : 01) का अनुपालन आज तक नहीं किया गया है।
पदधारियों ने कहा कि राज्य के सभी प्राथमिक विद्यालय 20 वर्ष पूर्व ही उत्क्रमित किये गए मध्य एवं उच्च विद्यालयों में अब तक प्रधानाध्यापक का पद ही सृजित नहीं किया गया है, जबकि राज्य के 99 प्रतिशत मध्य विद्यालय एवं उच्च विद्यालय प्रधानाध्यापक विहीन हैं। राज्य के सभी सुदूरवर्ती विद्यालय जहां केजी से लेकर आठवीं अथवा दसवीं तक के कक्षाएं संचालित हैं, वहां मात्र एक अथवा दो शिक्षक पदस्थापित हैं। वहीं शहरी क्षेत्र के विद्यालयों में स्वीकृत यूनिट से भी अधिक शिक्षकों का पदस्थापन अथवा प्रतिनियोजन किया जाना शैक्षणिक अनियमितता को दृष्टिपात कराता है।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के नाम पर विभाग द्वारा शिक्षकों पर ही सारा ठिकरा फोड़ा जाता है। यह उचित नहीं है। इसके लिए सर्वप्रथम शिक्षा विभाग को विद्यालयों में आरटीई 2009 के अनुरूप शिक्षकों का पदस्थापन एवं शिक्षकों को नित्य नए – नए रिपोर्टिंग कार्यों के बोझ से मुक्त किया जाना विभाग की प्राथमिकता होनी चाहिए। सिर्फ अव्यवहारिक आदेशों जैसे विभाजित पाठ्यक्रम (split syllabus) के अनुरूप पाठ योजना पूर्ण कर विभाग को एक नए रिपोर्टिंग का बोझ देना एवं शिक्षकों का वेतन भुगतान का आधार बनाया जाना और अन्यथा की स्थिति में सिर्फ शिक्षकों का वेतन बंद किया जाना कहीं से भी शिक्षा अथवा शिक्षक हित में व्यवहारिक नहीं है।
इसके अतिरिक्त विभाग के द्वारा कुछेक शिक्षकों को दिये गए अधिकांश टैब में भी ना तो ई विद्यावाहिनी ऐप्प के माध्यम से बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज होता है और न ही जे गुरुजी ऐप्प सही से कार्य करता है। ऐसे प्रतिकूल परिस्थिति में शिक्षकों को अपने निजी मोबाइल से ही बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज करने के साथ अन्य विभागीय कार्यों को ऑनलाइन संपादन करने के लिए इंटरनेट कैफे पर पूर्णतः आश्रित रहना पड़ता है।
इस सम्बन्ध में मोर्चा द्वारा दायर की गई याचिका के आलोक में झारखंड उच्च न्यायालय के झारखंड आधार बेस्ड बायोमेट्रिक उपस्थिति नियमावली-2015 के अनुरूप व्यवस्था करने का आदेश दिए जाने के बावजूद विभाग उसका पूर्णतः अनुपालन अभी तक नहीं किया गया है।
उक्त सभी मामलों पर झारखण्ड प्रदेश संयुक्त शिक्षक मोर्चा यथाशीघ्र विभाग के समक्ष शिक्षा एवं शिक्षक हित में सुझाव पत्र सह मांग पत्र समर्पित करेगा। उचित निर्णय नहीं लिए जाने के स्थिति में मोर्चा बाध्य होकर व्यापक आंदोलन अथवा न्यायालय के शरण में पुनः जाने को बाध्य होगा।
आज की बैठक में मोर्चा के प्रदेश संयोजक विजय बहादुर सिंह, अमीन अहमद, आशुतोष कुमार, प्रदेश प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी अरुण कुमार दास एवं वरीय सदस्य मकसूद जफर हादी के साथ अन्य शिक्षक प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
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