
रांची। झारखंड के BAU के फॉरेस्ट्री छात्र एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका आरोप है कि राज्य सरकार ने झारखंड हाई कोर्ट के उस ऐतिहासिक फैसले को लागू नहीं किया, जिसमें रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर (आरएफओ) और असिस्टेंट कंज़र्वेटर ऑफ फॉरेस्ट्स (एसीएफ) की भर्ती में फॉरेस्ट्री स्नातकों के लिए 50% आरक्षण अनिवार्य किया गया था। अलोक आनंद बनाम झारखंड राज्य केस में यह फैसला स्पष्ट रूप से फॉरेस्ट्री छात्रों के अधिकारों को मान्यता देता है। फिर भी सरकार इसे नजरअंदाज कर रही है।
राज्य सरकार ने प्रारंभिक परीक्षा (पीटी) की तिथि 15 जून, 2025 निर्धारित कर दी है। हालांकि उसमें कोर्ट के आदेश अनुसार आरक्षण को शामिल नहीं किया गया है। इसके विरोध में राज्य के एकमात्र फॉरेस्ट्री कॉलेज के छात्र शांतिपूर्ण विरोध, धरना और हड़ताल कर रहे हैं।
विद्यार्थियों ने कहा कि हमने कोर्ट में केस जीता, लेकिन आज भी हमें हमारा अधिकार नहीं मिल रहा। सरकार की चुप्पी और अवहेलना ने हमारे न्याय की भावना को ही खत्म कर दिया है। जब कोर्ट का आदेश है, तब सरकार क्यों चुप है? कॉलेज परिसर में छात्र संघों के नेतृत्व में धरने, जागरुकता अभियान जारी है।
छात्रों ने कहा कि यह केवल कानूनी मामला नहीं है। यह भावनात्मक धोखा है। हमने फॉरेस्ट्री इसलिए पढ़ा, ताकि हम वनों की सेवा कर सकें। अब जब कोर्ट भी हमारे साथ है, तो हमें फिर क्यों लड़ना पड़ रहा है? जब तक मांगे पूरी नहीं होतीं, तब तक विरोध और जागरुकता अभियान जारी रहेगा।
छात्रों की मांगें
आगामी आरएफओ/एसीएफ भर्ती प्रक्रिया को तत्काल स्थगित किया जाए।
हाई कोर्ट के आदेशानुसार 50% आरक्षण लागू किया जाए।
न्यायपालिका और फॉरेस्ट्री शिक्षा के महत्व का सम्मान किया जाए।
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