ट्रेड यूनियनों ने 20 मई को झारखंड में आम हड़ताल की घोषणा की

झारखंड
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  • चार लेबर कोड के खिलाफ और 17 सूत्री लंबित मांगों को लेकर

रांची। मजदूरों का राज्य स्तरीय संयुक्त कन्वेंशन झारखंड की राजधानी रांची में 20 अप्रैल को हुआ। इसमें आठ केंद्रीय ट्रेड यूनियन, स्वतंत्र फेडरेशनों और यूनियनों ने यह घोषणा की कि देश का मजदूर वर्ग श्रम संहिताओं को उनके प्रस्तावित स्वरूप में लागू नहीं होने देगा। इसके लिए मजदूर वर्ग निर्णायक संघर्ष के उद्देश्य से 20 मई, 2025 को देशव्यापी आम हड़ताल के अलावा पूरे देश में कार्यस्थलों से लेकर सड़कों तक अवज्ञा और प्रतिरोध के रूप में बड़े पैमाने पर कार्रवाई करेगा।

कन्वेंशन के अध्यक्षमंडल में संजीव श्रीवास्तव (इंटक), अशोक यादव (एटक), भवन सिंह (सीआईटीयू), जगन्नाथ उरांव (एआईसीसीटीयू), राजीव कुमार तिवारी (एआईयूटीयूसी) शामिल थे। सम्मेलन का उद्घाटन वरिष्ठ ट्रेड यूनियन नेता रमेंद्र कुमार ने किया। विषय-वस्तु और दृष्टिकोण पर बिश्वजीत देब ने विचार रखे।

संजीव सिन्हा (इंटक), अम्बुज ठाकुर (एटक), आर.पी.सिंह (सीटू), शुभेंदु सेन (एआईसीसीटीयू), मोहन चौधरी (एआईयूटीयूसी) एवं रमेश सिंह (एचएमएस) जैसे केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के अलावा विभिन्न कर्मचारी महासंघों की ओर से वाईपी सिंह, एमएल सिंह, बैजनाथ सिंह, महेंद्र सिंह, बीरेंद्र यादव, अंजनी कुमार, सुनील शाह, एलएल महतो, बेलाल, सरिता किंडो ने घोषणापत्र का समर्थन करते हुए अपने वक्तव्य रखे।

कार्यक्रम में बैंकिंग, कोयला, इस्पात, राज्य सरकार के कर्मचारी संगठनों के अलावा सीमेंट, बिजली , सेल्स प्रमोशन के साथ-साथ अनुबंधित, आउटसोर्स, अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिक जैसे आशा, आंगनवाड़ी, मिड डे मील कर्मी, गिग वर्कर, घरेलू कामगार, निर्माण श्रमिक आदि जैसे अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों की उपस्थिति रही।

किसान नेता सुफल महतो (झारखंड किसान सभा) और बीएन सिंह (एआईकेएमएस) ने भी सम्मेलन को संबोधित किया। हड़ताल के समर्थन में 20 मई को ग्रामीण बंद की घोषणा की।

कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि श्रम संहिताओं लागू होने के पहले से ही स्थाई नौकरी का ठेकाकरण, मौजूदा श्रम कानूनों के बड़े पैमाने पर उल्लंघन, ठेका, आउटसोर्स, अनुबंध, अभी तक कानूनी रूप से अपरिभाषित श्रमिकों के अधिकारों और सामाजिक सुरक्षा से इनकार किया जा रहा है। बुनियादी एवं कानूनी ट्रेड यूनियन गतिविधियों को रोकते या प्रतिबंधित करते हुए श्रमिकों के बीच भय का माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

ट्रेड यूनियन नेताओं और कार्यकर्ताओं का निलंबन, बर्खास्तगी और यहां तक कि झूठे मामलों में गिरफ्तारी आदि के जरिए परेशान किया जा रहा है। श्रम संहिताओं का उद्देश्य इन सभी वर्तमान, कानून उल्लंघनकारी गतिविधियों को कानूनी मंजूरी देना है। इन सबके अतिरिक्त ना तो अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठनों की सिफारिशों को लागू किया जा रहा है और न ही 2015 से भारतीय श्रम सम्मेलन बुलाया जा रहा है। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की 17 सूत्री मांगों को नकारा जा रहा है।

वक्ताओं ने याद दिलाया कि सितंबर, 2020 में 29 मौजूदा श्रम कानूनों को निरस्त करके श्रम संहिताओं (4 श्रम संहिताओं) को संसद में पारित करने के बावजूद, देशव्यापी एकजुट श्रमिक आंदोलन के कारण ही, केंद्र सरकार चार साल से अधिक समय से 4 श्रम संहिताओं को लागू करने की अधिसूचना जारी नहीं कर पाई है। अपने तीसरे कार्यकाल में, वे कॉर्पोरेट दबाव में, चार श्रम संहिताओं को लागू करने के लिए बेताब हैं, जिसका उद्देश्य राष्ट्र के बुनियादी उत्पादक वर्ग यानी श्रमिकों के बुनियादी, लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों पर बड़े पैमाने पर अंकुश लगाना है।

संयुक्त मंच द्वारा समान विचारधारा के नागरिक समाजों, बुद्धिजीवियों, महत्वपूर्ण हस्तियों, जनप्रतिनिधियों, जन संगठनों, राजनीतिक दलों से ,जीवन और आजीविका के अस्तित्व के लिए मजदूर वर्ग के 20 मई 2025 को राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल संयुक्त संघर्ष को एकजुटता और समर्थन प्रदान करने की अपील गई।

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