जिले के प्रबुद्ध लोगों ने बताया कैसा हो ‘सपनों का गढ़वा’

झारखंड
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  • गढ़वा जिला स्थापना दिवस पर संगोष्ठी आयोजित

विश्वजीत कुमार रंजन

गढ़वा। सदर अनुमंडल कार्यालय सभा कक्ष में गढ़वा जिला के स्थापना दिवस के अवसर पर ‘सपनों का गढ़वा’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन मंगलवार को किया गया। जिले के प्रबुद्ध लोगों ने गढ़वा जिले के बनने के संस्मरणों एवं अब तक के परिवर्तनों को लेकर अपने विचार रखे। संगोष्ठी की अध्यक्षता अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार ने की।
संगोष्ठी में डॉ मुरली श्याम गुप्ता ने कहा कि वे ढिबरी युग में पैदा हुए थे। तब लैंपपोस्ट होते थे, पर ब्लॉक, डिवीजन और बाद में जिला बनने पर उत्तरोत्तर विकास हुआ। इस दौरान लोगों ने बहुत बदलाव देखा है, लेकिन आज भी गढ़वा जिला को ट्रैफिक जिला ना बनाए जाने को लेकर पीड़ा है।

समाजसेवी डॉ यासीन अंसारी ने कहा कि जब गढ़वा जिला बना, तब वे सत्ताधारी पार्टी के जिला अध्यक्ष हुआ करते थे। जिला बनने से पूर्व गढ़वा में 90% से अधिक खपरैल के मकान होते थे। आज 2% से भी कम कच्चे मकान बचे हैं। गढ़वा तरक्की कर रहा है, यह तरक्की जारी रहे, यही कामना है।

सुशील केसरी ने कहा कि गढ़वा ने काफी विकास किया है, लेकिन जलस्तर के मामले में काफी नुकसान हुआ है। बालू उठाव रोकने और पौधरोपण की दिशा में सोचने की आवश्यकता है। शिक्षक अरुण दुबे ने कहा कि सभी संसाधनों में सर्वोच्च मानव संसाधन होता है जिसके लिए हमें शिक्षा पर जोर देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व है कि उनकी छात्रा नम्रता कुमारी गढ़वा की धरती से ही भारतीय प्रशासनिक सेवा तक पहुंची हैं।

समाजसेवी दयाशंकर गुप्ता ने कहा कि जिला बनने के वे भी साक्षी रहे हैं। गढ़वा जिला बनने के उपरांत कई सपने पूरे हुए किंतु कुछ अपने अधूरे रह गए। उन सपनों को पूरा करने के लिए शासन प्रशासन के साथ यहां के सभी वर्गों को एकजुटता दिखानी होगी। उन्होंने गोवावल क्षेत्र को ब्लॉक बनाने की मांग रखी।

वरिष्ठ पत्रकार नित्यानंद शुक्ला ने कहा कि जब 1 अप्रैल 1991 को गढ़वा जिला जन्म ले रहा था, तब यह घोर उग्रवाद से ग्रस्त था। उन्हें याद है जब 1989 में करकोमा में बड़ा कांड हुआ था। गढ़वा अनुमंडल से जिला बन रहा था, बहुत अरमान थे जिसमें से ज्यादातर अरमान पूरे भी हुए। बिजली की बहुत अच्छी स्थिति हुई, आज हर गांव तक बिजली पहुंच गई है, किंतु सिंचाई के क्षेत्र में जिस अनुपात में विकास होना चाहिए था वैसा नहीं हो सका।

द्वारिका प्रसाद पांडेय ने कहा कि उन्हें अच्छी तरह याद है उस समय पूरे क्षेत्र में सिर्फ आठ गाड़ियां चला करती थी, किंतु अब परिवहन की दिशा में गढवा में कोई दिक्कत नहीं है।

प्रमोद सोनी ने कहा कि गढ़वा ने कला और संस्कृति क्षेत्र में भी बहुत विकास किया है, उन्होंने संगोष्ठी के दौरान अपना बनाया हुआ गीत ‘मेरा गढ़वा महान’ सुनाया।

नीरज श्रीधर ने कहा कि गढ़वा जिले में संसाधन बढ़े हैं, किंतु साहित्यिक दिशा में अभी बहुत काम किया जाना बचा हुआ है, उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर कोई साहित्यिक मंच नहीं है जो सभी साहित्यकारों को लेकर चले।

अधिवक्ता अशोक पटवा ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में अभी उत्तरोत्तर प्रगति की जरूरत है इसके लिए अभिभावकों को चिंतन मनन करने की जरूरत है।
इम्तियाज अंसारी ने कहा कि गढ़वा में आपसी एकता बनी रही है, इसे आगे बनाये रखना भी सबका दायित्व है।

डॉ लालमोहन मिश्रा ने कहा कि पहले रिक्शा भी मुश्किल हुआ करता था अब फोरलेन बन चुके हैं, उन्होंने गढ़वा जिला की तरक्की की कामना की। उन्होंने कहा कि गढ़वा में सदैव धैर्य रखा है, धैर्यपूर्वक की गयी लंबी मांग का परिणाम था कि गढ़वा जिला बना।

बृजेश पांडे ने कहा कि गढ़वा धार्मिक रूप से बहुत संपन्न है। भौगोलिक रूप से दूर होने के चलते कई बार यहां चीजे देर से पहुंचती हैं। बावजूद इसके गढ़वा में बहुत बदलाव हुआ है। समाजसेवी शौकत खान ने कहा कि गढ़वा समाजसेवियों का गढ़ है। यहां के लोग किसी छोटी-मोटी समस्या के लिए प्रशासन की बजाय समाज के बीच पहले बात रखते हैं। इसके अलावा आत्माराम पांडे, इम्तियाज अंसारी, पूनम श्री आदि ने भी अपने विचार रखें।

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