घायल को अस्पताल पहुंचाने वाले व्यक्ति को पुलिस गवाह नहीं बनाती : मनीष

झारखंड
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  • मोटर वाहन दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित

रांची। झालसा के निर्देश और न्यायायुक्त-सह-अध्यक्ष, डालसा के मार्गदर्शन में रांची व्यवहार न्यायालय में मोटरवाहन दुर्घटना एवं बीमा क्लेम को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन 3 अप्रैल को किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर पी.ओ., एम.ए.सी.टी. मनीष, झारखंड उच्च न्यायालय के अधिवक्‍ता अरविंद लाल, रांची सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार, ट्रैफिक एसपी कैलाश करमाली, सि‍टी एसपी राजकुमार मेहता, रांची जिला के सभी थाना के प्रतिनिधि व पीएलवी उपस्थित थे। मंच का संचालन डालसा सचिव कमलेश बेहरा एवं एलएडीसीएस डिप्‍टी चीफ राजेश कुमार सिन्हा ने किया।

कार्यशाला में मोटर दुर्घटना में पीड़ित परिवार को ससमय व उचित मुआवजा दिलाने की प्रक्रिया के प्रावधान और सरलीकरण पर चर्चा हुई। इस अवसर पर पी.ओ. एम.ए.सी.टी ने झारखंड मोटर दुर्घटना कानूनों में वर्ष 2019 एवं 2022 में हुए बदलाव का उल्लेख किया। कहा कि सड़क दुर्घटना की सूचना 48 घंटे के अंदर संबंधित पुलिस थाना को न्यायाधिकरण में प्रस्तुत करना है।

श्री मनीष ने कहा कि दुर्घटना समय देखकर नहीं आती। किसी के साथ कभी भी हो सकती है। पीएलवी एवं अन्य सरकारी संस्थान लोगों के बीच में जागरुकता फैलाये कि दुर्घटना कभी भी कहीं भी हो सकती है। इसलिए बाइक चालक हेलमेट व कार चालक सीट बेल्ट लगाकर चलें। कहीं दुर्घटना होती है तो आसपास के लोग पुलिस को सूचित करें। घायल व्यक्ति को नजदीकी अस्पताल पहुंचाने में सहायता करें। किसी घायल को अस्पताल पहुंचाने वाले व्यक्ति को पुलिस गवाह नहीं बनाती है।

श्री ने कहा कि सड़क दुर्घटना केस में अनुसंधानकर्ता को क्लेम्स ट्रिबूनल के यहां दुर्घटना के 48 घंटा के अंदर दिये गये प्रारूप में फर्स्ट एक्सीडेंट रिपोर्ट (एफ.ए.आर.) जमा करने का प्रावधान है। एक प्रति दुर्घटना के पीड़ितों, बीमा कंपनी एवं झालसा को देने का प्रावधान है। डिटेल एक्सीटेन्ट रिपोर्ट भी अनुसंधानकर्ता को क्लेम ट्रिबूनल में दुर्घटना के 90 दिनों के भीतर जमा करने का प्रावधान है। उन्होंने एमसीटी से संबंधित सभी बिंदुओं पर प्रकाश डाला और एमएसीटी से संबंधित विभिन्न फर्म का डिस्क्शन किया और समय पर सभी फर्म को जमा करने को कहा, ताकि समय पर मोटर दुर्घटना वादों का निस्तारण समय पर हो सके। संबंधित पीड़ितों को उचित मुआवजा की राशि समय पर प्रदान किया जा सके। 

सि‍टी एसपी राजकुमार मेहता ने सभी थाना प्रभारी को दिशा-निर्देश दिया कि दुर्घटना होने के बाद समय पर दुर्घटना से संबंधित कागजात संबंधित स्थान पर सुपुर्द करें। इसके साथ ही यह भी बताया कि अगर कागजात सही समय पर संबंधित स्थान पर जमा नहीं होते हैं, तो इसका जवाबदेही सिर्फ आई.ओ. के ऊपर नहीं, बल्कि थाना प्रभारी भी होंगे। घटनास्थल पर पहुंचकर जांच कर पीड़ित को लाभ पहुंचाने का कार्य करें।

कार्यशाला में जिला रोड सेफ्टी इंजीनियर गौरव कुमार ने कहा कि जिले में नित्य सड़क दुर्घटनाएं होती रहती है। जिन लोगों की जानें गई हैं, उनमें से अधिकतर अपने परिवार के ब्रेड अर्नर थे। अधिकतर तेज रफ्तार बाइक या वाहन चलाने से दुर्घटनाग्रस्त हुए, जिसमें एफआइआर की प्रति रोड सेफ्टी विभाग में नहीं उपलब्ध हो पा रही है या फिर एफआईआर में कुछ त्रुटि होने के कारण पीड़िता को राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार के द्वारा मिलनेवाली मुआवजा प्राप्त नहीं हो पा रही है।

श्री कुमार ने बताया कि रोड एक्सीडेंट होने के तुरंत बाद व्यक्ति को अस्पताल, नजदीकी अस्पताल या ट्रामा सेंटर पहुंचाना मानवता के नाते प्रथम कर्तव्य है। उन्होंने यह भी कहा कि अधिकतर दुघटनाएं शराब के नशे में वाहन चलाने या फिर मोबाईल से बात करते हुए वाहन चलाने से होता है। उन्होंने यह भी बताया कि किसी भी दुर्घटना में यदि मृत्यु होती है, हिट एंड रन मामले में यदि वाहन अज्ञात हो तो 2 लाख केद्र सरकार एवं 1 लाख राज्य सरकार के द्वारा दिया जाता है। 

अरविंद लाल ने कहा कि लोगों की जितनी मौतें कोरोना से हुई है, उससे अधिक मृत्‍यु वाहन दुर्घटना से होती है। अधिक से अधिक लोग घायल हो जाते है। लोगों को यातायात के नियमों का पालन करना चाहिए। स्कूलों में भी बच्चों को यातायात संबंधी गाईडलाईन जागरुकता के माध्यम से देना चाहिए। दुर्घटना होने के 24 से 48 घंटे के अंदर इंटेरिम रिपोर्ट एमएसीटी कोर्ट में देना चाहिए।

सिविल सर्जन ने कहा कि शराब के नशे में गाड़ी चलाने व मोबाईल से बात करते हुए गाड़ी चलाने से दुर्घटनाएं होती है। चालकों को हेलमेट पहनकर ही गाड़ी चलाना चाहिए। ट्रैफिक एसपी ने कहा कि रांची में 8 थाना हैं। सभी थाना में थाना प्रभारी नियुक्त है। ट्रैफिक पुलिस का मुख्य दायित्व हैं कि घायलों को अस्पताल पहुंचाना एवं मृतकों को बीमा कंपनी से मुआवजा दिलाने के लिए प्रयास करना। 

कार्यशाला में धन्यवाद एलएडीसी सहायक शिवानी सिंह ने किया।

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