खूंटी। डालसा, खूंटी की मदद से कोलोम्दा गांव के पास बनई नदी पर शुक्रवार को बोरीबांध बना। डालसा के अध्यक्ष रसिकेस कुमार के मार्गदर्शन और सचिव राजश्री अपर्णा कुजूर की मदद से सेवा वेलफेयर सोसाईटी और ग्रामसभा, कोलोम्दा ने श्रमदान परंपरा के तहत बोरीबांध का निर्माण किया। बांध बनने के बाद बनई नदी में काफी पानी जमा हो गया है। ग्रामीण इसका उपयोग सब्जी की खेती करने, नहाने-धोने व मवेशियों को पानी पिलाने के लिए करेंगे।
बता दें कि विश्व जल दिवस पर 22 मार्च को कोलोम्दा गांव में बोरीबांध निर्माण की शुरुआत डालसा सचिव राजश्री अपर्णा कुजूर ने की थी। हालांकि मौसम खराब होने के कारण उस दिन बोरीबांध की सिर्फ सांकेतिक शुरुआत की गई थी। इसे शुक्रवार को ग्रामसभा सदस्यों और सेवा वेलफेयर सोसाईटी के अध्यक्ष अजय शर्मा द्वारा पूरा किया गया।
मदईत परंपरा के तहत बोरीबांध बनाने के बाद सभी लोगों ने सामूहिक रूप से जंगल में भोजन किया। भोजन बनाने का काम महिला मंडल की दीदियों के द्वारा किया गया।
डालसा सचिव राजश्री अपर्णा कुजूर ने ग्रामीणों को दिए संदेश में कहा कि जल संरक्षण व संचयन के लिए बोरीबांध का निर्माण सेवा वेलफेयर सोसाईटी ने शुरू किया है, जिसके साथ आज डालसा भी मिलकर काम कर रहा है। इसका उद्देश्य लोगों में जागरुकता लाना है, ताकि लोग एक बूंद पानी की कीमत भी समझें। जल संरक्षण के लिए आगे आएं।
सेवा वेलफेयर सोसाईटी के अध्यक्ष अजय शर्मा ने कहा कि खूंटी में जल संकट बड़ी समस्या बनने जा रही है। नदियों की दशा खराब है। जंगल के कटने से गांवों में भूगर्भीय जल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है। आदिवासी समाज के पूर्वज पहले पत्थरों से बांध बनाया करते थे। डोभा, चुंआ, डाड़ी और कुकरूडाड़ी स्वंय बनाते थे। हर गांव के लोग जल का प्रबंधन करते थे, लेकिन अब अधिकांश गांवों के लोग पानी के लिए सरकार पर निर्भर रहते हैं। पानी के लिए आज ही हमें जागना होगा, अन्यथा कल भयावह होगा।
कोलोम्दा के ग्रामप्रधान अर्जुन मुंडा ने कहा कि कोलोम्दा में सेवा वेलफेयर सोसाईटी के सहयोग से कुल चार बोरीबांध बनाए जा चुके हैं। अगली ग्रामसभा में जल संचयन व संरक्षण पर चर्चा कर और भी बोरीबांध बनई नदी पर बनाए जाएंगे। ग्रामप्रधान ने कहा कि इससे भूगर्भिय जल उपर आएगा। गांव के कुंए और चापानल नहीं सुखेंगे। किसान सिंचाई करेंगे और पानी से जुड़ी सभी समस्याओं का अंत होगा।
बोरीबांध निर्माण में मदईत करने वालों में ग्रामप्रधान अर्जुन मुंडा, करूणा पूर्ति, गंदौरी संगा, सलोमी मुंडू, हेलीना ढ़ोढ़राय, प्यारी सोय, विश्वासी ढ़ोढ़राय, यशोदा ढ़ोढ़राय, दयामनी भेंगरा, इंद्रावती देवी, सुचू मुंडा, कृष्णा सिंह, सबन पाहन, सिलास बोदरा, इलियस सोय, प्रेम आनंद ढ़ोढ़राय, जीदन ढ़ोढ़राय, डेरा सोय मुरूम, हरिश सिंह, राजकुमार सिंह, चमरू सिंह, सोमा पाहन, मंगल मुंडा, मजिल बोदरा, विश्वनाथ सिंह, रंजीत बोदरा, सिविल भेंगरा, सितुंग ढ़ोढ़राय, मादी ढ़ोढ़राय समेत अन्य ग्रामीण शामिल थे।
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