बीआईटी मेसरा में सतत विकास के लिए जैव प्रौद्योगिकी पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित

झारखंड
Spread the love

रांची। बीआईटी मेसरा के 70वें स्थापना वर्ष समारोह के तहत तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन “सतत विकास के लिए जैव प्रौद्योगिकी” गहन विचार-विमर्श, वैज्ञानिक नवाचारों और अनुसंधान सहयोग के साथ संपन्न हुआ।

सम्मेलन में डॉ अमित प्रसाद ने प्रतिरक्षा प्रणाली पर परजीवियों के प्रभाव को उजागर किया। डॉ भास्कर सिंह ने चौथी पीढ़ी के जैव ईंधन (बायोफ्यूल) की वकालत की। प्रो. राजू पोद्दार ने एक नवीन गैर-संपर्क (नॉन-कॉन्टैक्ट) इमेजिंग तकनीक प्रस्तुत की। डॉ. जन्मजय पांडेय ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए सूक्ष्मजीवों (माइक्रोब्स) के समाधान पर चर्चा की। अन्य सत्रों में डॉ. अरुण कुमार ने कैंसर अनुसंधान पर और डॉ. रेणु मुंजाल ने सतत कृषि रणनीतियों पर प्रकाश डाला। प्रो. विनोद कुमार निगम ने औद्योगिक प्रक्रियाओं में सूक्ष्मजीवों से प्राप्त एंजाइमों के महत्व पर बल दिया।

अंतिम दिन में आयोजित वैज्ञानिक संगोष्ठी में पौधों की प्रतिरोध क्षमता, एंटीबायोटिक प्रतिरोध, जैव ईंधन उत्पादन, रेशम उत्पादन (सेरिकल्चर), बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) और बायोसिमिलर पर चर्चा की गई।

सीजेयू के प्रो. कुमार ने कैडमियम विषाक्तता (टॉक्सिसिटी) पर व्याख्यान दिया। डॉ. संजीत कुमार रॉय ने क्षय रोग (टीबी) के लिए दवा डिजाइन पर चर्चा की। प्रो. प्रत्युष शुक्ला ने जैव प्रौद्योगिकी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका पर अपने विचार रखें। डॉ. एन.बी. चौधरी (CTRTI, रांची) ने तसर सेरिकल्चर पर व्याख्यान दिया।

समापन सत्र की अध्यक्षता डॉ. एन.बी. चौधरी, प्रो. कुणाल मुखोपाध्याय और प्रो. मनीष कुमार ने की। उत्कृष्ट योगदान के लिए पुरस्कार वितरित किए गए।
थर्मो फिशर द्वारा प्रायोजित इस सम्मेलन ने विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को एक मंच पर लाकर अनुसंधान और ज्ञान-विनिमय को बढ़ावा दिया, जिससे जैव प्रौद्योगिकी के सतत विकास में योगदान को और सशक्त किया गया।