- क्षेत्रीय सिनेमा में भाषा से ज्यादा फिल्म का प्रदर्शन महत्वपूर्ण चुनौती
- निर्माता आज की पीढ़ी को आकर्षित करने वाली फिल्मों का करें निर्माण
रांची। गोस्सनर कॉलेज में चल रहे गोस्सनर सिने फेस्ट 4.0 के दूसरे दिन लोगों का अपार प्यार देखने को मिला। इस अवसर पर कई विशिष्ट अतिथि, बॉलीवुड और झोलीवुड, डायरेक्टर, सिनेमेटोग्राफर एडिटर, कलाकार सहित सितारे उपस्थित रहे।
इस कार्यक्रम की शुरुआत गोस्सनर कॉलेज के बीसीए और जियोलॉजी विभाग के विद्यार्थियों ने स्वागत आसामी नृत्य से की। विज्ञान संकाय की छात्रा संध्या सिंह ने ‘उई अम्मा’ गीत पर शानदार प्रस्तुति दी। उन्होंने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया ।
पैनलिस्ट के रूप में अंतर्राष्ट्रीय डॉक्यूमेंट्री मेकर दीपक बाड़ा, फिल्म क्रिटिक कुंदन कुमार चौधरी, फिल्म निर्माता सह विभाग के एल्युमनी रवि कुमार साहू और बॉलीवुड के सिनेमेटोग्राफर सुरेन्दन कुजूर उपस्थित थे। मास कम्युनिकेशन की कोर्स को-ऑर्डिनेटर प्रो. आशा रानी केरकेट्टा ने शॉल और मोमेंटो देकर अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान किया।
पैनल डिस्कशन में पैनलिस्ट ने क्षेत्रीय सिनेमा के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा क्षेत्रीय सिनेमा में भाषा से ज्यादा फिल्म का प्रदर्शन महत्वपूर्ण चुनौती के रूप में उभर रही है। आज के दर्शक क्षेत्रीय सिनेमा से ज्यादा बॉलीवुड और हॉलीवुड की ओर रुख कर रहे है। इसलिए फिल्म निर्माताओं को ऐसी विषयों पर फिल्में बनानी चाहिए, जो आज की पीढ़ी को आकर्षित कर सके।
पैनिलस्ट ने कहा कि बहुत सारे ऐसे फिल्म निर्माता और डॉक्यूमेंट्री मेकर है जो वास्तविकता को नजरअंदाज कर देते है। अगर क्षेत्रीय सिनेमा को आगे बढ़ाना है तो झारखंड की खूबसूरत, भाषा, संस्कृति, खानपान, समुदाय सहित दूसरे क्षेत्रों की वास्तविकता और विशिष्टता को गंभीरता से दिखाना चाहिए। लोगों की भावनाएं और मिट्टी से जुड़ाव का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है।
पैनिलस्ट ने कहा कि तकनीकी और उपलब्धता की कमी भी क्षेत्रीय सिनेमा में देखने को मिलती है, जिससे उसके प्रदर्शन पर प्रभाव पड़ता है। क्षेत्रीय सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए सभी का योगदान जरूरी है। ऐसी परंपरा कई प्रदेशों में देखी भी गया है, जहां लोग पूरे परिवार सहित क्षेत्रीय सिनेमा देखने जाते हैं। अपना अथाह प्रेम उनपर लुटाते हैं।
विग्नेश परम शिवम् द्वारा निर्देशित ‘Anbirku EN Ondrai Azhuthavum’ की स्क्रीनिंग की गई। इस फिल्म में तकनीक के बारे में दिखलाया गया था, जिसमें एक ग्रामीण महिला और उसके पुत्र के बीच के वीडियो कॉल द्वारा संबंधों को पर्दे पर अच्छी तरह दिखाया गया है।
आज मलार की स्क्रीनिंग हुई, जिसका निर्देशन साराथ नायर ने किया है। इस डॉक्यूमेंट्री में पारंपरिक पाइला को दिखाया गया। लघु फिल्म नोटिस सहित अन्य फिल्मों की स्क्रीनिंग की गई।
प्यार का मौसम, हवाएं, सांवरिया, आए हवा, ओरे पिया, तंत्र मंत्रा, हे धरती आबा, तोर धड़कन में, पतंग सहित अन्य म्यूजिक वीडियो एलबम की प्रदर्शनी की गई, जिसे दर्शकों ने काफी सराहा।
विशिष्ट अतिथि के रूप में मोहित कश्यप भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि आगे बढ़ने के लिए परिवार का सहयोग बहुत जरूरी है। उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि उनकी मां ने हमेशा उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
इस अवसर पर ज्यूरी मेंबर डॉ. विनोद कुमार सिन्हा, मनीष एक्का, रेव निरल बागे, रेव आशीशन बागे, छत्तीसगढ़ के एनस कुजूर, डियोन, अमनदीप कुजूर, अभिषेक साहू, हैरी विकी सहित अन्य अतिथि एवं कलाकार मौजूद थे।
कार्यक्रम का संचालन दिव्या, कौसर और साक्षी के द्वारा किया गया।
इस फेस्ट में प्रो. महिमा गोल्डन बिलुंग, प्रो. अनुज कुमार, प्रो. संतोष कुमार, प्रो तेज मुंडू, शाहबाज आलम सहित जीसीएफ ऑर्गनाइजिंग हेड सौरव कुमार, क़शफ आरा, साक्षी पांडेय, अभिषेक, इशिका संजना, देव, कौसर, मुस्कान, अमन, तान्या, रजनी, रौशन, आकाश, रोहित, अनल, तान्या, साहिल, आकाश, हर्ष, रोहित, रजनी, रिया सहित गोस्सनर कॉलेज शिक्षक, विद्यार्थी एवं बड़ी संख्या में सिने प्रेमी उपस्थित रहे।
कल के कार्यक्रम
- पुरस्कार वितरण
- क्षेत्रीय फिल्मों की प्रदर्शनी
- डीजे और सांस्कृतिक कार्यक्रम
- फिल्म प्रश्नोत्तरी आदि
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