- नशा उन्मूलन पर संत जोन्स इंगलिश मीडियम स्कूल में जागरुकता कार्यक्रम
रांची। झालसा के निर्देश और न्यायायुक्त-सह-अध्यक्ष के मार्गदर्शन में संत जोन्स इंगलिश मीडियम स्कूल में नशा उन्मूलन पर जागरुकता कार्यक्रम 5 अगस्त को किया गया। इस अवसर पर एलएडीसी अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा, मध्यस्थ पी.एन. सिंह, लाईफ सेवर्स एनजीओ के अतुल गेरा, सीआईडी के मनोज कुमार, डी.एस.पी (सिटी) राज कुमार मेहता, पीएलवी संगीता सिंह, संगीता देवी एवं संत जॉन्स इंगलिश मीडियम स्कूल के प्रधानाध्यापक, शिक्षक-शिक्षिकाए व अन्य उपस्थित थे।
मौके पर एलएडीसी अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा ने मानव औषधियां और मनःप्रभावी पदार्थ-1985 के अधीन अफीम, गांजा, हिरोईन, ब्राउन शुगर एवं अन्य तरह के मादक पदार्थों के बारे में बताया। अफीम की खेती करने से संबंधित अपराध के बारे में जानकारी दी। कहा कि इन पदार्थों की खरीद-बिक्री, भंडारण, उपभोग, उपयोग, एक राज्य से दूसरे राज्य में तस्करी करना कानूनन अपराध है। इस अपराध की सजा के बारे में जानकारी दी। बताया कि सजा को स्मॉल, इंटरमीडिएट, कमर्शियल कैटेगरी में बांटा गया है। इसमें 2 से 10 साल की न्यूनतम और अधिकतम सजा 20 साल एवं 2 लाख का जुर्माना भी है। दोबारा अपराध करने पर सजा बढ़ जाती है। नशा दीमक के तरह मानव शरीर को नष्ट करता है।
मध्यस्थ पी.एन. सिंह ने कहा कि नशा हम सब के लिए एक अभिशाप है, जो समाज में आम है। अच्छी शिक्षा के अभाव में लोग कम उम्र में ही नशा का शिकार हो जाते हैं। आजीवन नशे की लत में रहते हैं। नशा मुक्ति का अर्थ किसी व्यक्ति या समाज को नशे से मुक्त करना होता है। ड्रग्स लेने से मस्तिष्क खराब हो जाता है। सोचने की क्षमता समाप्त हो जाती है।
सीआईडी के मनोज कुमार ने कहा कि नशा से शारिरीक, मानसिक एवं आर्थिक हानि होती है। नशा में व्यक्ति चोरी करना शुरू कर देता है। नशा की चपेट में आकर नशीली पदार्थों का सेवन कर युवा वर्ग अपने अनमोल जीवन को नष्ट कर रहे हैं। नशा से पूरा घर-परिवार बर्बाद हो जाता है। नशा की रोकथाम के लिए कई कार्य विभिन्न संस्थाओं द्वारा किए जा रहे हैं।
लाईफ सेवर्स एनजीओ के अतुल गेरा ने नशा से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि नशा ना कर मनुष्य स्वस्थ रहता है। नशा शरीर की गुणवत्ता को समाप्त कर देता है। इसका प्रभाव पूरे परिवार पर पड़ता है। नशा से परिवार की आर्थिक, मानसिक और शारीरिक क्षति होती है। इसकी भरपाई कदापि नहीं की जा सकती है। नशा के आदि व्यक्ति का पूरा पैसा नशा करने में खर्च होता है, जिसका प्रभाव उसके परिवार पर पड़ता है। परिवार नष्ट हो जाता है। नशा का आदि व्यक्ति पागलों की तरह इधर-उधर घूमता रहता है, जिससे उसका मान-सम्मान भी समाप्त हो जाता है।
छात्र-छात्राओं को 14 सितंबर को होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत के बारे में भी बताया गया। उनके बीच नशा से संबंधित लिफलेट और पम्पलेट का वितरण भी किया गया।
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