रांची। सीसीएल ने दरभंगा हाउस स्थित गंगोत्री कनवेंशन सेंटर के संगम ऑडिटोरियम में ‘सरहुल पूर्व संध्या समारोह’ का आयोजन किया। इस अवसर पर सीसीएल के वरिष्ठ अधिकारियों सहित बड़ी संख्या में कर्मचारी उपस्थित रहे।
यह पर्व प्रकृति को समर्पित पर्व के रूप में जाना जाता है। इस दौरान अनेक लोग पारंपरिक परिधानों में नजर आए। प्रकृति पर्व सरहुल झारखंड के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह वनों, जलस्रोतों और प्राकृतिक संसाधनों के प्रति आदर और कृतज्ञता प्रकट करने का पर्व है।
कार्यक्रम में सीसीएल के निदेशक (वित्त) पवन कुमार मिश्रा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त, विभिन्न ट्रेड यूनियनों और अन्य संगठनों के प्रतिनिधि भी इस अवसर पर मौजूद रहे। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग समिति के अध्यक्ष बृज किशोर राम ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
इस आयोजन की शोभा झारखंड के पारंपरिक नृत्य और गीतों ने बढ़ाई। कार्यक्रम का शुभारंभ आदि प्रार्थना से हुआ। धर्मगुरु बंधन तिग्गा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उनके आध्यात्मिक संदेश ने पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों ने अपने संबोधन में हरियाली एवं पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस अवसर पर ‘जल, जंगल और जमीन’ के संरक्षण की शपथ लेने का आह्वान किया। यह कार्यक्रम सीसीएल की सरना समिति द्वारा आयोजित किया गया। इस अवसर पर वक्ताओं ने पारंपरिक संस्कृति को संरक्षित रखने के महत्व पर भी बल दिया।
मुख्य अतिथि, निदेशक (वित्त) पवन कुमार मिश्रा ने कहा कि सरहुल पर्व प्रकृति को समर्पित है। यह हमें अपने पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारियों की याद दिलाता है। उन्होंने सभी से पर्यावरण संरक्षण के लिए सक्रिय भागीदारी निभाने की अपील की। उन्होंने यह भी कहा कि हमारी प्राकृतिक संपदा को बचाने के लिए हमें पौधरोपण को बढ़ावा देना चाहिए। जल संरक्षण के उपायों को अपनाना चाहिए।