रांची। ‘भारतीय संविधान की आत्मा इसकी प्रस्तावना में बसती है। पूर्व में अनेकानेक उदाहरणों और न्यायिक फैसलों में इसकी महत्ता भी उजागर हुई है।’ यह बातें झारखंड उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. एस. एन. पाठक ने कहीं। वे 24 जनवरी को सरला बिरला विश्वविद्यालय में ‘प्रस्तावना–भारतीय संविधान का सार’ विषय पर आयोजित एक्सपर्ट टॉक के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि अपने विचारों को रख रहे थे। उन्होंने प्रस्तावना को भारतीय लोकतंत्र के स्थायित्व एवं शासन एवं समानता आधारित समाज के लिए आवश्यक करार दिया। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हमें इसका सदुपयोग महज कोर्ट रूम में ही नहीं, बल्कि दैनंदिन जीवन में भी करना चाहिए।
कार्यक्रम में विषय प्रवेश करते हुए एसबीयू के महानिदेशक प्रो. गोपाल पाठक ने विद्यार्थियों के व्यक्तित्व के निखार में एक अच्छे वक्ता के योगदान की चर्चा की। उन्होंने न्यायाधीश का परिचय उपस्थित श्रोताओं से करवाते हुए न्यायिक क्षेत्र में उनके योगदान को सराहा। कुलपति प्रो सी. जगनाथन ने धन्यवाद देते हुए न्यायिक प्रक्रिया के शीघ्र निष्पादन में जस्टिस पाठक के योगदान की चर्चा की।
इस अवसर पर डॉ. सुभानी बाड़ा, डॉ. नीलिमा पाठक, एस. डांडीन, डीन इंचार्ज कोमल गुप्ता, डॉ. आर. के. सिंह, श्वेता सिन्हा, राजीव रंजन, डॉ. आलोक कुमार, डॉ. पूजा प्रेरणा, रश्मि सहाय एवं विवि के अन्यान्य शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारी उपस्थित रहे।
विश्वविद्यालय के प्रतिकुलाधिपति बिजय कुमार दलान और सांसद डॉ. प्रदीप कुमार वर्मा ने इस कार्यक्रम के आयोजन पर अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की।
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