जैविक और प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को मिलेगी सहायता : कृषि निदेशक

झारखंड कृषि
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  • क्षेत्रीय जैविक और प्राकृतिक खेती केंद्र के प्रशिक्षण का समापन

रांची। क्षेत्रीय जैविक और प्राकृतिक खेती केंद्र ने रांची स्थित कृषि निदेशालय में जैविक और प्राकृतिक खेती पर 5 से 25 सितंबर, 2024 तक पाठ्यक्रम का आयोजन किया। इसका उद्देश्य झारखंड में जैविक खेती के बारे में जागरुकता और अवसर पैदा करना है। इसमें बताया गया कि जैविक खेती मानव जाति और प्रकृति के लिए बेहतर है। आज दुनिया के हर इंसान की यह जरूरत है। समापन समारोह में कृषि निदेशक डॉ. कुमार ताराचंद ने जैव खेती और प्रमाणीकरण पर प्रशिक्षण मैनुअल जारी किया। इसके अलावा उन्होंने प्रमाण पत्र भी वितरित किया।

इस अवसर पर संबोधन में उन्होंने कहा कि जैविक खेती और प्रमाणीकरण प्रक्रिया पर इन 21 दिनों के प्रशिक्षण ज्ञान और जानकारी का उपयोग करें। जैविक रूप से उगाई गई फसलों की स्थापना करें। झारखंड का जैविक ब्रांड तैयार करें। केंद्र प्रायोजित योजना पीकेवीवाई के तहत जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को झारखंड सरकार द्वारा सहायता दी जाएगी।

सहायक निदेशक (आरसीओएनएफ, भुवनेश्वर) एस.आर. इंगले ने प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। झारखंड में जैविक खेती के महत्व और संभावनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वर्ष 2022 से किसान 750 क्लस्टर में जैविक खेती कर रहे हैं। जिले में और 24000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र अनाज,  सब्जी और औषधीय पौधों के अंतर्गत है। जल्द ही वे पूरी तरह से जैविक प्रमाणित उत्पादक बन जाएंगे। जैविक रूप से विकसित ब्रांड स्थापित करने के लिए क्लस्टर में आगे आ सकते हैं। 

ओफाज के सीईओ ए.के सिन्हा, ओफाज के राजीव रंजन तिवारी और रमाशंकर प्रसाद, रांची जिला कृषि पदाधिकारी कार्यक्रम के समापन समारोह में उपस्थित थे। श्रीमती अर्चना, अमित ने कार्यक्रम का संचालन किया। ओफाज के मुकेश द्विवेदी ने धन्यवाद दिया।

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