नशा पीड़ि‍तों के लिए सीआर्इपी और रिनपास में है डालसा का लिगल एड क्लिनिक  : राजेश कुमार सिन्हा

झारखंड
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  • नशा उन्मूलन पर संत जॉन्स मैरी वियानी उच्च विद्यालय में जागरुकता कार्यक्रम

रांची। झालसा के निर्देश पर न्यायायुक्त-सह-अध्यक्ष, डालसा के मार्गदर्शन में संत जॉन्स मैरी वियानी उच्च विद्यालय, चान्हो में नशामुक्ति पर जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन 6 सितंबर को किया। इस अवसर पर एलएडीसीएस अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा, लाइफ सेवर्स एनजीओ के चीफ अतुल गेरा, सीआईडी-सब-इंस्पेक्टर रिजवान अंसारी, एनसीबी के राकेश गोस्वामी, संत जॉन्स मैरी वियानी उच्च विद्यालय की प्रधानाध्यापिका, शिक्षिका एवं राजा वर्मा समेत अन्य लोग उपस्थित थे।

अतुल गेरा ने बच्चों को बताया कि नशा करने के क्या दुष्परिणाम होते हैं। उसका हमारे समाज और देश पर क्या प्रभाव पड़ता है। मानव शरीर किस प्रकार नशे की चपेट में आने के बाद खोखला हो जाता है। उसके परिणाम स्वरूप तरह-तरह के अपराध पनपते है। झारखंड न केवल नशीली दवाओं का उपभोग करता है, बल्कि भारी कार्रवाई के बावजूद इनका उत्पादन भी करता है। नशा करने से व्यक्ति और परिवार, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

एलएडीसीएस अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा ने एनडीपीएस एक्ट पर प्रकाश डालते हुए इसकी दंड व्यवस्था कठोर होने की जानकारी छात्र-छात्राओं को जानकारी दी। श्री सिन्‍हा ने कहा कि नशा से पीड़ि‍तों के लिए सीआईपी और रिनपास में डालसा लिगल एड क्लिनिक है। वहां नशा करनेवाले व्यक्तियों का इलाज किया जाता है। वहां पर डालसा के पीएलवी दूर-दराज से आये हुए गरीब व्यक्तियों की इलाज के लिए सहायता प्रदान करते है।

राजेश कुमार सिन्हा ने दिव्यांग बच्चे और महिलाओं के अधिकारों के बारे में जानकारी दी। पोक्सो एक्ट के बारे में उपस्थित छात्र-छात्राओं को जानकारी दी। उन्‍होंने कहा कि वैसे गरीब-असहाय व्यक्ति जो अपनी बातों को न्यायालय के समक्ष नहीं रख पाते है या पैसे की कमी के कारण न्यायालय में अधिवक्ता नहीं रख पाते है, उसके संबंध में डालसा निःशुल्क विधिक सहायता और अधिवक्ता प्रदान करता है।

सी.आई.डी. सब-इंस्पेक्टर रिजवान अंसारी ने नशा रोकने के संबंध में वहां के छात्र-छात्राओं को जागरूक किया। कहा कि झारखंड में नशे की समस्या को रोकने के लिए सीआईडी की भूमिका महत्वपूर्ण है। यह क़ानूनों के कार्यान्वयन और हितधारकों के बीच समन्वय के लिए ज़िम्मेदार है। अधिकांश तस्करी के गिरोह संसाधनों की कमी के कारण पकड़े नहीं जाते। गृह मंत्रालय ने पिछले महीने मादक द्रव्यों के सेवन से संबंधित किसी भी संदेह की जानकारी देने के लिए आम जनता के लिए मानस हेल्पलाइन (टोल फ्री नं. 1933) स्थापित की है।

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