नशा उन्मूलन पर संत अन्ना बालिका हाई स्‍कूल में डालसा का जागरुकता कार्यक्रम

झारखंड
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  • मादक पेय और नशीली दवाओं के सेवन से होती है शारीरिक व मानसिक हानि‍  : राजेश कुमार सिन्हा

रांची। झालसा के निर्देश और न्यायायुक्त-सह-अध्यक्ष, डालसा के मार्गदर्शन में 2 सितंबर, 2024 को संत अन्ना बालिका हाई स्कूल में नशा मुक्ति पर जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर एलएडीसीएस अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा, लाइफ सेवर्स एनजीओ के चीफ अतुल गेरा, सीआईडी.ईंस्पेक्टर सरोज कुमार, एनसीबी-सुप्रीन्टेंडेंट ऑफ पुलिस लुंखो लाल, ईंटेलीजेंश ऑफिसर  (एनसीबी) राकेश गोस्वामी, संत अन्ना बालिका स्‍कूल की प्रधानाध्यापिका, शिक्षिका, पीएलवी सुमन ठाकुर, पम्मी देवी, पूनम देवी, सुनीता देवी, रेनु देवी, विश्वनथ एवं राजा वर्मा समेत अन्य लोग उपस्थित थे।

इस अवसर पर अतुल गेरा ने बताया कि कि खांसी की सिरप जैसी चीज़ों का नशे के लिए उपयोग किया जाता है। झारखंड ना केवल नशीली दवाओं का उपभोग करता है, बल्कि भारी कार्रवाई के बावजूद इनका उत्पादन भी करता है। नशा करने से व्यक्ति और परिवार, शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कुछ लोगों के लिए नशे की यात्रा 16 वर्ष या इससे कम उम्र से ही शुरू हो जाती है।

श्री गेरा ने कहा कि पुनर्वास केंद्रों की अधिक जनसंख्या उनके लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। यदि रांची में नशे की समस्या पर नियंत्रण पाया जाए तो अपराध दर में लगभग 70 प्रतिशत की कमी आ सकती है। रांची में नशीली दवाओं से संबंधित किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना अधिकारियों को देने की सलाह दी जाती है।

एलएडीसीएस अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा ने कहा कि अफीम या पोस्ता के उत्पादन या कब्ज़े पर एनडीपीएस अधिनियम 1985 के तहत मात्रा के आधार पर 20 साल तक के कठोर कारावास की सजा हो सकती है। बार-बार अपराध करने पर मृत्युदंड तक दिया जा सकता है। कांके के पुनर्वास केंद्रों के साथ-साथ एनजीओ भी नशा करने वालों को ठीक करने में मदद करते हैं।

श्री सिन्‍हा ने कहा कि सीआईपी और रिनपास में जिला विधिक सेवा प्राधिकार का लिगल एड क्लिनिक है, वहां पर वैसे नशा करनेवाले व्यक्तियों को इलाज किया जाता है। इसमें डालसा, रांची सहायता प्रदान करता है। नशा से संबंधित पदार्थों के बारे में उन्होंने विस्तार से बताया। उन्होंने सजा के प्रावधान के बारे में भी बताया। उन पदार्थों के बारे में बताया, जिसकी तस्करी करने, रखने, एक जगह से दूसरे जगह ले जाने एवं किसी व्यक्ति के पास पाये जाने पर वह एनडीपीएस कानून के तहत सजा के भागी होंगे।

सी.आई.डी. इंस्पेक्टर सरोज कुमार ने कहा कि झारखंड में इस नशे की समस्या को रोकने के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की भूमिका महत्वपूर्ण है। यह क़ानूनों के कार्यान्वयन और हितधारकों के बीच समन्वय के लिए ज़िम्मेदार है। नशे की दवाओं का उत्पादन और वितरण इस समस्या की जड़ तक पहुंचता है। अधिकांश तस्करी के गिरोह संसाधनों की कमी के कारण पकड़े नहीं जाते। गृह मंत्रालय ने पिछले महीने मादक द्रव्यों के सेवन से संबंधित किसी भी संदेह की जानकारी देने के लिए आम जनता के लिए मानस हेल्पलाइन (टोल फ्री नं. 1933) स्थापित की है।

ज्ञात हो कि एनसीबी-सुप्रीन्टेंडेंट ऑफ पुलिस लुंखो लाल, इंटेलि‍जेंस ऑफिसर-एनसीबी राकेश गोस्वामी ने बच्चों को नशा से संबंधित कानूनों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। नशील पदार्थों के सेवन से होनेवाली हानियों के बारे में बताये। संबंधित सजा के बारे में विस्तृत चर्चा की।

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