टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क ने मनाया विश्व हाथी दिवस

झारखंड
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जमशेदपुर। टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क (टीएसजेडपी) झारखंड के जमशेदपुर के मध्य में स्थित है। यह एलीफेंट रिजर्व के बहुत करीब है, जिसे दलमा वन्यजीव अभयारण्य के रूप में जाना जाता है। टीएसजेडपी ने विश्‍व हाथी दिवस मनाया।

टीएसजेडपी की स्‍थापना 1994 में की गई। इसका रखरखाव टाटा स्टील द्वारा किया जाता है। यह चिड़ियाघर जुबली पार्क से सटे 37 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। इसने अपने शुभंकर के रूप में धातु निर्मित हाथियों के सिर की जोड़ी को अपनाया है, जो आगंतुकों को पहली नज़र में ही इसकी सुरक्षा और संरक्षण के प्रति संवेदनशील बनाती है। हाथी शुभंकर चिड़ियाघर के प्रवेश द्वार पर स्थित है। आजकल चिड़ियाघर की पहचान बन गया है।

विश्व हाथी दिवस 12 अगस्त को दुनिया भर के देशों में मनाया जाता है। टीएसजेपी ने पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के साथ मिलकर हाथियों के आवासों की सुरक्षा और उनके संरक्षण के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से एक पहल और अभियान चलाया। टाटा ज़ू ने इस दिन को बड़े उत्साह के साथ मनाया। हाथियों के संरक्षण के महत्व के बारे में जागरुकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया।

ज़ू में विभिन्न आयु वर्ग के आगंतुकों को शैक्षणिक सत्रों में शामिल किया गया, जहाँ उन्होंने हाथियों से संबंधित विभिन्न रोचक तथ्यों के बारे में जाना, जैसे कि उनकी विशेषताएँ, विविधताएं, जीवनशैली और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका आदि। सत्रों में हाथियों के सामने आने वाले खतरों पर जोर दिया गया, जिसमें अवैध शिकार, आवास का नुकसान और मानव-वन्यजीव संघर्ष शामिल हैं, जो संरक्षण प्रयासों की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर देते हैं।

इंटरैक्टिव वार्ता के माध्यम से आगंतुकों को हाथियों की सुरक्षा के महत्व के बारे में शिक्षित किया गया, न केवल उनके आंतरिक मूल्य के लिए बल्कि जैव विविधता में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए भी। इस कार्यक्रम ने हाथियों के संरक्षण में प्रत्येक व्यक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया, जिससे उपस्थित लोगों में जिम्मेदारी और कार्रवाई की भावना पैदा हुई।

आगंतुकों को हाथी दांत और उससे बनी सामग्री के उपयोग को रोकने और हाथियों की रक्षा और संरक्षण करने वाले संगठनों का समर्थन करने के बारे में भी शिक्षित किया गया। यह समारोह विश्व की सबसे प्रतिष्ठित प्रजातियों में से एक के संरक्षण के प्रति जागरुकता फैलाने और जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देने की दिशा में एक सकारात्मक कदम था।

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