- 184 बच्चों को पेंशन स्कीम स्पाँसर योजना इत्यादि से जोड़ा गया
रांची। झालसा के तत्वावधान में डालसा ने रांची जिला प्रशासन के सहयोग से मेगा लीगल इम्पावरमेन्ट कैंप का आयोजन नामकुम ब्लॉक में 28 अगस्त को किया। इसके साथ ही दिव्यांग बच्चों के लिए चलाये जा रहे राज्यस्तरीय 45 दिवसीय विशेष अभियान का समापन हो गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि झालसा की सदस्य सचिव कुमारी रंजना अस्थाना थी। उन्होंने कहा कि दिव्यांगों को सामान अवसर प्रदान करना सरकार व समाज की जिम्मेदारी है।
कार्यक्रम में संत मिखाईल नेत्रहीन विद्यालय के 9 बच्चों के बीच ब्रेल कीट, स्मार्ट केन (स्मार्ट स्टीक) का वितरण किया गया। दसवीं कक्षा के बच्चों को स्मार्ट ब्रेल मोबाईल दिया गया। राजकीय नेत्रहीन विद्यालय हरमू और मूकबधिर स्कूल, हरमू के 19 बच्चों के बीच भी ब्रेल कीट, स्मार्ट केन (स्मार्ट स्टीक) और मूकबधीर बच्चों के बीच हियरिंग हेड का वितरण किया गया।
दिव्यांग बच्चों के बीच सहायक यंत्रों के साथ 250 रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में भी सीआरसी के सहयोग से बांटा गया। डीसीपीओ द्वारा 4 बच्चों को स्पॉशरशिप स्कीम से जोड़ा गया। ये कोविड के समय अपने परिजनों को खो चुके हैं। गुरूनानक होम बरियातू के एक दिव्यांग बच्चे को व्हील चेयर प्रदान किया गया। एक अन्य बच्चे को रोलर भी प्रदान किया गया। सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंश, बरियातू में पढ़ रही 11वीं कक्षा की दिव्यांग बालिका को स्पेशल ब्रेल मोबाईल फोन, ब्रेल कीट आदि प्रदान किया गया। इसके अलावा उपस्थित 32 बच्चों का यूडीआईडी कार्ड के लिए निबंधन जिला प्रशासन की मदद से किया गया।
62 दिव्यांगों के बीच सहायक उपकरण बांटे गये। उन्हें कल्याणकारी योजनाओं के साथ जोड़ा गया। रांची के सभी 18 ब्लॉकों में दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष कैंप का आयोजन किया गया था, जिसमें सभी कैंपों को मिलाकर करीब 184 बच्चों को पेंशन स्कीम एवं अन्य सरकार के कल्याणकारी योजना से जोड़ा गया।
कार्यक्रम में डीसीपीओ वेद प्रकाश सहित सी.आर.सी. के निदेशक सूर्यमनी प्रसाद एवं एलिमको के सेकेंड इंचार्ज नीतीश कुमार ने भी भाग लिया। धन्यवाद ज्ञापन प्रखंड विकास पदाधिकारी रेनु कुमारी ने किया।
इस अभियान की शुरुआत न्याय सदन, झालसा से 13 जुलाई, 2024 को झारखंड उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एवं झालसा के मुख्य संरक्षक माननीय डॉ विद्यूत रंजन सारंगी ने किया था। यह अभियान दिव्यांगता के साथ जी रहे बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए विधिक सेवाओं का एक प्रभावी हस्तक्षेप था।
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