डॉ. मनीष कुमार
डेंगू बुखार को ‘हड्डी तोड़ बुखार’ भी कहा जाता है। यह एक वायरल संक्रमण है, जो मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है। भारत में इसका पहला मामला 1956 में तमिलनाडु के वेल्लोर ज़िले में सामने आया था। 1996 में, दिल्ली में डेंगू का गंभीर प्रकोप हुआ था, जिसमें 10,252 मामले और 423 मौतें दर्ज की गईं। 2006 में 12,317 मामले और 184 मौतें हुईं। 2014 में 40,571 मामले दर्ज हुए, जो 2017 में बढ़कर 1,88,401 और 2023 में 2,89,000 तक पहुंच गए।
पिछले साल (अगस्त और सितंबर 2023) में टीएमएच में डेंगू बुखार से पीड़ित मरीजों की संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई। इनमें विभिन्न चरणों और गंभीरता के मामले थे, जिनमें से कई को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता पड़ी। मेडिसिन विभाग में डेंगू से पीड़ित कुल 2058 वयस्क मरीजों का इलाज किया गया। इस साल, अब तक 20 पुष्टि किए गए मामलों का इलाज किया है।
डेंगू को 21वीं सदी की क्लासिक बीमारी बनने में जिन कारकों ने योगदान दिया है। ये शहरीकरण, यात्रा और व्यापार में वृद्धि, मच्छर वाहक का अधिक प्रभावी और अनुकूलनीय होना, शहरी क्षेत्रों में लार्वा और मच्छरों का पनपना, एडीज मच्छरों के दिन में काटने से बचाव में असमर्थता, और पर्यावरणीय नियंत्रण उपायों को प्रभावी ढंग से लागू करने में कठिनाई हैं।
ये हैं डेंगू के लक्षण
- अचानक तेज बुखार आना
- सिरदर्द
- आंखों के पीछे दर्द, जो आंखों की गतिविधि से बढ़ता है
- मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
- छाती और ऊपरी अंगों पर लाल चकत्ते
- मितली और उल्टी
- थकान
- गंभीर डेंगू के लक्षणों की पहचान
- बार-बार उल्टी होना, खून के साथ या बिना खून के
- नाक, मुंह, मसूड़ों से खून आना, और त्वचा पर चकत्ते
- नींद आना और बेचैनी
- मरीज को प्यास लगना और मुंह का सूखना
- सांस लेने में कठिनाई
डेंगू के मामलों का प्रबंधन
- यदि किसी व्यक्ति में डेंगू के लक्षण दिखाई दें, तो उसे तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
- डेंगू बुखार का कोई विशेष उपचार नहीं है। यह आमतौर पर अन्य वायरल बीमारियों की तरह अपने आप ठीक हो जाता है।
- ज्यादातर मरीजों में हल्के लक्षण होते हैं, जिनका इलाज घर पर सहायक देखभाल के साथ किया जा सकता है, लेकिन उन्हें प्रशिक्षित चिकित्सा पेशेवर की निगरानी में रहना चाहिए।
- पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ (जैसे ओआरएस, नारियल पानी, लस्सी या मट्ठा), बिस्तर पर आराम, और बुखार के लिए पैरासिटामोल लेना उचित है।
- डॉक्टर को हल्के से मध्यम और गंभीर लक्षणों के विकास की करीबी निगरानी करनी चाहिए और जिन मरीजों में मध्यम से गंभीर लक्षण दिखें, उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना आवश्यक है।
इन्हें अधिक जोखिम
- बुजुर्ग (क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है और आमतौर पर अन्य रोग होते हैं)
- मोटापा या अन्य पुरानी बीमारियों (जैसे कि मधुमेह, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, थैलेसीमिया, आदि) से पीड़ित लोग
- नन्हे बच्चे
रोकथाम के उपाय
डेंगू बीमारी से बचने का एकमात्र तरीका मच्छर के काटने से बचना है, क्योंकि डेंगू का टीका अभी उपलब्ध नहीं है। भारत में तीसरे चरण के परीक्षण में है।
ये करें और ये नहीं
- मच्छरों के पनपने के स्थानों को हटाने के लिए हर सप्ताह एक बार कूलर और छोटे कंटेनरों जैसे बर्तन और फूलदान से पानी निकालें।
- मच्छरों के काटने से बचने के लिए दिनभर मच्छर रोधक क्रीम या स्प्रे का उपयोग करें।
- ऐसे कपड़े पहनें जो आपके शरीर को पूरी तरह से ढक सकें।
- बच्चों को शॉर्ट्स और टी-शर्ट्स में खेलने की अनुमति न दें।
- दिन में मच्छरदानी या मच्छर रोधक लगाकर सोएं।
- जब भी संभव हो, एयर कंडीशनिंग का उपयोग करें।
(लेखक : जमशेदपुर के टाटा मेन हॉस्पिटल में कंसलटेंट (मेडिकल इंडोर सर्विसेज) हैं)
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