BAU : शोध परियोजना के तहत 454 बकरियों का टीकाकरण

झारखंड
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रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (BAU) में बकरी सुधार संबंधी अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना चल रही है। इसके अंतर्गत लोहरदगा जिला के टीको ग्राम में टीकाकरण शिविर और वैज्ञानिक बकरी पालन विषय पर किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। 

शिविर में फड़कियां (एन्टेरोटॉक्सीमिया) रोग से बचाव के लिए 454 बकरियों का टीकाकरण किया गया। यह बकरी एवं भेड़ में पाया जाने वाला मुख्य जीवाणु जनित रोग है। यह एक स्पोर फॉर्मिंग रोग है, जिसके रोगाणु मृदा एवं पशु की ग्रास नली में अपनी प्राकृतिक अवस्था में पाये जाते हैं। जबतक इस बीमारी के लक्षण पूरी तरह स्पष्ट होते हैं तबतक चपेट में आए पशु की मृत्यु हो जाती है, इलाज का अवसर प्रायः नहीं मिल पाता। 

परियोजना की प्रधान अन्वेषक डॉ नंदनी कुमारी ने ग्रामीणों को बताया कि रोग से बचाव के लिए टीकाकरण आवश्यक है, क्योंकि रोग का फैलाव हो जाने पर पशुओं का प्रभावी इलाज मुश्किल हो जाता है। बचने की संभावना बहुत कम रह जाती है। शिविर में बकरियों के लिए बीएयू द्वारा मांगे, डायरिया एवं परजीवी रोगों से बचाव के लिए दवा भी वितरित की गयी। शिविर एवं किसान गोष्ठी में परियोजना के सहायक प्रधान अन्वेषक डॉ दिनेश कुमार एवं डॉ शैलेन्द्र रजक शामिल थे। 

नवीनतम पशु जनगणना के अनुसार लोहरदगा जिला में बकरियां की आबादी लगभग 30,000 है। वन आच्छादन, चारा एवं कृषि योग्य भूमि की उपलब्धता के कारण इस जिले में बकरी पालन किसानों की आजीविका का प्रमुख साधन है। कुछ घरों में तो 30 से भी अधिक बकरियां पाई गईं। ब्लैक बंगाल बकरियों के लाभकारी पालन के लिए विश्वविद्यालय द्वारा आधुनिक प्रजनन तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। सीमेन बैंक की स्थापना की जाए।

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