नई दिल्ली। कांवड़ नेमप्लेट विवाद में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। इससे पहले यूपी सरकार ने कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन की तरफ से जारी निर्देश के अमल पर अंतरिम रोक लगा दी थी। कहा था कि दुकानदार खाने का प्रकार लिखें। अपना नाम लिखना ज़रूरी नहीं
एसोसिएशन फ़ॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नामक एनजीओ ने यूपी सरकार के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। यूपी और उत्तराखंड सरकार की तरफ से कांवड़ को लेकर जारी आदेश के खिलाफ टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी याचिका दाखिल की है। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. अपूर्वानंद और स्तंभकार आकार पटेल ने भी एक याचिका दायर की है।
अभिषेक मनु सिंघवी ने याचिकादाता की ओर से बहस करते हुए का था कि शुद्धता के नाम पर आर्थिक बहिष्कार की कोशिश है। छुआछूत को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्यों की ओर से कोई वकील कोर्ट में नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यूपी, उत्तराखंड, एमपी सरकार को नोटिस जारी था।
कांवड़ नेमप्लेट विवाद में यूपी सरकार ने जवाब देते हुए कहा कि किसी के व्यापार पर रोक नहीं लगाई। अधिक पारदर्शिता के लिए यह किया गया, ताकि यात्री गलती से भी कुछ ऐसा ना खा लें, जो वह नहीं खाना चाहते। अतीत में गलत खाने से विवाद की घटनाएं हुई हैं। निर्देश सबके लिए है। किसी विशेष धर्म से भेदभाव नहीं है।
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