गुमला। गुरुवार को गुमला के विशुनपुर पहुंचे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने गांवों को लेकर बड़ी बात कह दी है। उन्होंने कहा कि विकास निरंतर प्रक्रिया है। एक साथ सबका विकास और अपने पास से जो लोगों की सेवा करते हैं, वही बड़े होते हैं।
लगातार एकजुट होकर कार्य करने से निश्चित रूप से सफलता मिलती है। गांव के विकास को लेकर एक दूसरे की मदद के लिए सदैव तत्पर रहें। वे विकास भारती बिशुनपुर द्वारा गुरुवार को बिशुनपुर में ग्राम स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
विकास भारती बिशुनपुर के द्वारा गुरुवार को बिशुनपुर में ग्राम स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, पद्मश्री अशोक भगत, पद्मश्री चामी मुर्मू, देवव्रत मोहन, सुधीर बृजिया, महेंद्र भगत सहित अन्य अतिथि शामिल हुए।
सर्वप्रथम आदिवासी परंपरा के अनुसार पत्ते की टोपी पहनाकर और भगवान जतरा टाना भगत की मूर्ति देकर मोहन भागवत सहित अन्य अतिथियों का स्वागत किया गया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि विकास एक निरंतर प्रक्रिया है। एक साथ सबका विकास और अपने पास से जो सेवा करते हैं वही बड़े होते हैं। जिनके पास सब कुछ होता है और वह किसी की सेवा नहीं करते हैं। वे कुछ नहीं है।
आदिवासी जनजाति बहुल क्षेत्र का विकास समुचित नहीं हो सकता, लेकिन लगातार एकजुट होकर कार्य करने से निश्चित सफलता मिलती है। वर्तमान में विश्वास में सेवा और विकास की आवश्यकता है। एक दूसरे की मदद के लिए सदैव तत्पर रहें।
विकास भारती के सचिव पद्मश्री अशोक भगत ने कहा कि पिछले 40 वर्षों से संस्था लगातार लोगों के उत्थान की दिशा में कार्य कर रही है। 10 करोड़ पेड़ लगाए गए। सरकार की योजनाओं का लाभ जनता को मिले, इस दिशा में भी कार्यकर्ता लगातार काम कर रहे हैं।
इस मौके पर पूर्व सांसद सुदर्शन भगत, समीर उरांव, अरुण उरांव, प्रवीण सिंह, किरणमाला, शिव शंकर उरांव, विनय लाल, संजय कुमार, रंजन चौधरी, आशा लकड़ा सहित काफी संख्या में संघ के अतिथि एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे।
कार्यक्रम के बाद मोहन भागवत सहित अन्य अतिथियों ने पौधरोपण कर पर्यावरण जागरूकता अभियान का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह से मनुष्य आज जीवन जी रहा है। वह प्रकृति के अनुकूल नहीं है। जल्द ही अगर हम प्रकृति का दोहन करना बंद नहीं करते, तो इसका मनुष्य जाति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
सृष्टि के संपूर्ण जीव-जाति से अच्छा व्यवहार करना चाहिए। हमें प्रकृति से पोषण पाने के लिए प्रकृति को भी पोषित करना होगा। मौके पर विकास भारती की बच्चियों के द्वारा अतिथियों का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया।