झारखंड में करवट ले रही सियासत, नीति आयोग की बैठक में आज हेमंत के शामिल होने के बड़े मायने

झारखंड राजनीति
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शिव कुमार सिंह

रांची। अगले कुछ महीनों में होने वाले झारखंड विधानसभा चुनाव की आहट के बीच झारखंड में सियायत करवट लेती दिखाई दे रही है। राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नई दिल्ली में हुई शिष्टाचार भेंट से शुरू हुई सियासी चर्चा एवं अटकलों के बीच शनिवार को नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के शामिल होने के भी गहरे राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि इंडिया गठबंधन द्वारा नीति आयोग की बैठक के बहिष्कार का एलान किया गया है, तो दूसरी ओर इसी गठबंधन में शामिल हेमंत सोरेन बैठक में शामिल हो रहे हैं। इससे स्वाभाविक रूप से इंडिया गठबंधन की दिशा और दशा प्रभावित हो सकती है।

पीएम मोदी की अध्यक्षता में होगी बैठक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 27 जुलाई को हो रही नीति आयोग की बैठक का इंडिया गठबंधन ने बहिष्कार का एलान कर रखा है। साफ घोषणा है कि इंडिया गठबंधन का कोई भी मुख्यमंत्री इस बैठक में शामिल नहीं होगा। 

बड़े अफसरों को साथ लेकर दिल्ली गए सीएम

इसके बावजूद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार की दोपहर बाद अचानक नीति आयोग की बैठक में भाग लेने का फैसला किया। हेमंत सोरेन शुक्रवार की देर शाम नीति आयोग की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली रवाना भी हो गए। मुख्यमंत्री के साथ झारखंड के मुख्य सचिव एल ख्यांगते और वित्त सचिव प्रशांत कुमार भी रवाना हुए। 

दोपहर बाद खास कागज तैयार करने का दिया निर्देश

नीति आयोग की बैठक में भाग लेना तय हो जाने के बाद मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के सामने झारखंड की मांग जोरदार तरीके से उठाने के लिए कुछ खास आंकड़ों को तैयार करने का निर्देश दिया। इसके बाद केंद्र की ओर से झारखंड के साथ हो रही नाइंसाफी को दिखाने वाले कुछ खास आंकड़ों की फेहरिस्त तैयार की गई। इनमें साफ तौर पर दिखाया गया कि केंद्र किस तरह से झारखंड की हकमारी कर रहा है।

शीर्ष अदालत के फैसले ने दी ताकत

नीति आयोग की बैठक के बहिष्कार या भागीदारी पर फैसले को लेकर अंतिम निर्णय तक पहुंचने में 25 जुलाई को आए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने ताकत दी। इस फैसले में साफ कहा गया है कि खनिजों पर राज्यों का केवल रॉयल्टी का ही हक नहीं है, बल्कि कर लगाने का भी अधिकार है।

हेमंत सोरेन सरकार खनिजों से मिलने वाले लाभ में झारखंड को उपेक्षित करने का आरोप केंद्र सरकार पर लगातार लगाती रही है। दो दिन बाद ही हो रही नीति आयोग की बैठक में झारखंड को जोरदार तरीके से यह मामला उठाने का मौका मिल रहा है। विधानसभा चुनाव की दहलीज पर इस मामले में काफी सियासी संभावना भी है। 

केंद्रीय अनुदान 12 से घटकर नौ हजार करोड़

हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनने के बाद भारत सरकार केंद्रीय योजनाओं के लिए मिलने वाले अनुदान में लगातार कमी कर रही है। 2019-20 के वित्तीय वर्ष में भारत सरकार की ओर से 12 हजार करोड़ केंद्रीय अनुदान के मद में दिया गया था। साल दर साल घटते हुए यह 2023-24 में यह 9100 करोड़ पर आ गया है। मुख्यमंत्री झारखंड के साथ हो रहे इस अन्याय को दूर करने की फरियाद भी करेंगे। 

केंद्र के हाथ खींचने से संकट में झारखंड

मुख्यमंत्री कई योजनाओं से केंद्र के अचानक हाथ खींचने का सवाल भी प्रधानमंत्री की मौजूदगी में नीति आयोग के सामने उठाएंगे। केंद्र ने 2024-25 के बाद हर घर जल योजना का अनुदान बंद करने की घोषणा की है। इस कारण झारखंड पर सालाना 6500 करोड़ का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। इससे झारखंड सरकार को दूसरी महत्वपूर्ण कल्याणकारी योजनाओं में कटौती करनी पड़ सकती है। आंगनबाड़ी की एक योजना में भी ऐसा ही हुआ है। 

बकाया देने के लिए टाइमलाइन मांगेगे

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खनिजों की रॉयल्टी और सरफेस रेंट के बकाये एक लाख 32 हजार करोड़ का मुद्दा नीति आयोग के सामने फिर से उठाएंगे। यह राशि झारखंड को देने के लिए टाइमलाइन बताने का आग्रह करेंगे। इधर बता दें कि, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी नीति आयोग की बैठक में शामिल होने पहुंची हैं।