- बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में आरंभिक प्रयोगों में हुआ साबित
रांची। पोषक तत्वों से भरपूर शीतोष्ण फल सेव की खेती मुख्य रूप से जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र, कुछ मात्रा में पूर्वोत्तर राज्यों एवं पंजाब में होती है। विटामिन सी, फाइबर और पोटैशियम से भरपूर सेव हृदय को स्वस्थ रखने, इम्यूनिटी बढा़ने, पाचन एवं वजन प्रबन्धन में मददगार है। कोल्ड एवं इंफेक्शन से लड़ने में सहायक है। यह स्किन एवं बालों को स्वस्थ रखने और कोलेस्ट्रॉल घटाने में मददगार है।
तीन प्रभेदों के पौधे लगाए गए थे
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में हुए आरम्भिक प्रयोगों से साबित हुआ है कि सेब रांची में भी उगाया सकता है। बीएयू के हॉर्टिकल्चरल बायोडायवर्सिटी पार्क में फरवरी, 2022 में सेव के तीन प्रभेदों (स्कॉरलेट स्पर, जेरोमिन और अन्ना) के पौधे लगाए गए थे। अन्ना प्रभेद में इस वर्ष अच्छी संख्या में फल लगे हैं। बीएयू के इस पार्क में अन्ना प्रभेद के 18 पौधे लगे हैं। गत वर्ष भी इसमें कुछ फल लगे थे, किंतु अन्य दो प्रभेदों में कोई भी फलन नहीं हुआ।
हिमाचल प्रदेश से लाए गए पौधे
पिछले 2 वर्ष की अवधि में अन्ना प्रभेद का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा। इसके पौधों का बेहतर विकास हुआ। सभी पौधे डॉ वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय (सोलन, हिमाचल प्रदेश) से लाये गए थे। पिछले दो वर्षों में इन प्रभेदों के कुछ पौधे मर भी गए। सेब के पौधों में पुष्पण फरवरी माह में होता है, जबकि इसके फल जुलाई-अगस्त में परिपक्व होते हैं।
मिट्टी और आबोहवा फल देने में समर्थ
बायोडाइवर्सिटी पार्क के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ अब्दुल माजिद अंसारी ने बताया कि यह पायलट प्रयोग इन सेव प्रभेदों की फलन क्षमता की जांच के लिए चलाया गया। अन्ना प्रभेद रांची की मिट्टी एवं आबोहवा में फल देने में समर्थ है। उन्होंने कहा कि इसकी गुणवत्ता, स्वाद, प्रति हेक्टेयर उपज और इस क्षेत्र के लिए पैकेज ऑफ प्रैक्टिसेज के बारे में समुचित प्रयोग एवं अध्ययनों के बाद ही इस क्षेत्र में इसकी व्यावसायिक खेती की कोई अनुशंसा की जा सकती है। उन्होंने बताया कि सेव की सफल खेती के लिए ऊपरी भूमि की अच्छी जल निकासी वाली बलुआही दोमट मिट्टी और सिचाई व्यवस्था आवश्यक है।
कुलपति ने किया पार्क का भ्रमण
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एससी दुबे ने वानिकी संकाय के डीन डॉ एमएस मलिक और अनुसंधान निदेशक डॉ पीके सिंह के साथ बायोडाइवर्सिटी पार्क का भ्रमण किया। उन्होंने सुझाव दिया कि झारखंड में सेव की व्यावसायिक खेती की संभावनाओं का पता लगाने के लिए इसके और भी प्रभेदों का आकलन एवं इसकी खेती से सम्बंधित पूरी पैकेज प्रणाली का विकास करना चाहिए।
यहां सीधे पढ़ें अन्य खबरें
खबरें और भी हैं। इसे आप अपने न्यूज वेब पोर्टल dainikbharat24.com पर सीधे भी जाकर पढ़ सकते हैं। नोटिफिकेशन को अलाउ कर खबरों से अपडेट रह सकते हैं। सुविधा के अनुसार अन्य खबरें पढ़ सकते हैं। आप अपने न्यूज वेब पोर्टल से फेसबुक, इंस्टाग्राम, x सहित अन्य सोशल मीडिया के साथ-साथ सीधे गूगल हिन्दी न्यूज पर भी जुड़ सकते हैं। यहां भी खबरें पढ़ सकते हैं। अपने सुझाव या खबरें हमें dainikbharat24@gmail.com पर भेजें।
हमसे इस लिंक से जुड़े
https://chat.whatsapp.com/Jj479fycWte2jCOAU5PANT