किसानों से टाल क्षेत्र में कृषि से जुड़ी समस्याओं पर हुआ सीधा संवाद

कृषि देश बिहार
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पटना। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर के वैज्ञानिकों की टीम ने एक दिवसीय वैज्ञानिक-कृषक संगोष्ठी और प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन मोकामा स्थित श्रीकृष्ण गौशाला में 23 जुलाई को किया। इसमें वैज्ञानिकों एवं किसानों के बीच टाल क्षेत्र में कृषि से जुड़ी समस्याओं पर सीधा संवाद हुआ। मुख्य रूप से किसानों की आय में बढ़ोतरी एवं कृषि उत्पादन में कम लागत से संबंधित मुद्दों पर चर्चा हुई।

निदेशक डॉ. अनुप दास ने कृषि के बहुआयामी विषयों से संबंधित बिंदुओं पर प्रकाश डाला। डॉ. दास ने मोकामा टाल क्षेत्र के किसानों को यथासंभव तकनीकी सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया। आगे की रूपरेखा तैयार करने पर विस्तृत चर्चा की।

डॉ. दास ने बाढ़ के पहले, बाढ़ के बाद एवं बाढ़ के समय टाल क्षेत्र के कृषि विकास के लिए वैकल्पिक तकनीक के बारे में किसानों के साथ परिचर्चा की। उन्होंने विशेषकर किसान सहभागी माध्यम से बीज शुद्धिकरण, एबीआई के तहत टाल फूड की ब्रांडिंग और मास्टर ट्रेनर किसानों के क्षमता प्रबंधन का आश्वासन दिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ प्रभागाध्यक्ष (फसल अनुसंधान) डॉ. संजीव कुमार के स्वागत भाषण से हुआ। डॉ. कुमार ने समेकित कृषि प्रणाली और दलहन फसलों में खरपतवार प्रबंधन पर विस्तृत जानकारी दी। प्रभागाध्यक्ष (सामाजिक-आर्थिक एवं प्रसार प्रभाग) डॉ. उज्ज्वल कुमार ने दलहन उत्पाद की ब्रांडिंग एवं इससे संबंधित महत्वपूर्ण विषयों के बारे में बताया।

प्रधान वैज्ञानिक डॉ. ए.के. चौधरी ने दलहन फसल उत्पादन से संबंधित विभिन्न विषयों एवं दलहन बीज शुद्धिकरण के महत्‍व पर जोर दिया। उन्होंने यह भी बताया कि रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले किस्मों का चयन जरूरी है। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राकेश कुमार ने ग्रीष्मकालीन मूंग एवं बेबी कॉर्न के बारे में किसानों को बताया।

वैज्ञानिक डॉ. कुमारी शुभा ने विशेषकर महिला किसानों को पोषण वाटिका के बारे में बताया। डॉ अभिषेक कुमार दूबे ने दलहन फसलों में रोग-व्याधि के प्रबंधन के बारे विस्तृत जानकारी दी। परिचर्चा में 50 से ज्यादा किसानों ने भाग लिया। मौके पर किसानों की मुख्य समस्याएं, नवोन्मेषी तकनीक की जानकारी, रोग प्रबंधन, ग्रीष्मकालीन समय में वैकल्पिक फसलों इत्यादि के बारे में विस्तृत चर्चा हुई।

इस कार्यक्रम में कद्दू वर्गीय सब्जियों के बीजों का प्रत्यक्षण के लिए वितरण किया गया। कार्यक्रम के आयोजन में किसान चन्दन कुमार सिंह, मुरारी एवं अन्य का योगदान रहा। वैज्ञानिक डॉ. कुमारी शुभा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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