जनजातीय भाषाओं में डिजिटल सामग्री वर्तमान समय की मांग : कुलपति

झारखंड
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  • सात दिवसीय फैकेल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम का समापन

रांची। संतोष कॉलेज ऑफ टीचर्स ट्रेनिंग एंड एजुकेशन और रांची विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में सात दिवसीय फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का समापन 12 जुलाई को हो गया। कार्यक्रम का विषय ‘जनजातीय भाषाओं में डिजिटल शिक्षण सामग्री डिजाइन करने के लिए व्यवसायिक विकास’ था।

समापन समारोह के मुख्य अतिथि रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्‍हा थे। उन्होंने कहा कि जनजातीय भाषाओं में डिजिटल सामग्री वर्तमान समय की मांग है। समावेशी और प्रगतिशील शिक्षा के लिए यह आवश्यक कदम है। शिक्षकों को इस कार्य का प्रशिक्षण और अनुभव जरूरी है।

डॉ सिन्‍हा ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा की समझ से वास्तविक शिक्षा के लक्ष्य को पूरा किया जा सकता है। दक्ष व अनुभवी शिक्षक भविष्य निर्माता होते हैं। आने वाले 25 वर्षों में भारत को विकसित राष्ट्र की श्रेणी में लाने के लिए इस प्रकार के प्रयासों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। 

मौके पर जनजातीय भाषाओं के डिजिटलीकरण की संभावनाएं एवं चुनौतियां विषय पर सत्र आयोजित किया गया। इसमें रिसोर्स पर्सन के रूप में रांची विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग के प्रोफेसर अभिजीत दत्ता उपस्थित थे। अपनी प्रस्तुति में उन्होंने भारत की आदिम जनजाति भाषाओं में निहित ज्ञान परंपरा को उजागर किया।

प्रैक्टिकल सेशन में विभिन्न महाविद्यालय से आए फैकल्टी मेंबर्स को डिजिटल कंटेंट क्रिएशन के लिए वर्ड, एक्सेल, पावर पॉइंट, एआई इनेबल्ड टूल्स, चैट जीपीटी से संबंधित जानकारियां दी गई।

समापन समारोह में प्रतिभागी फैकल्टी मेंबर्स को प्रतिभागिता प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। इस अवसर पर डॉ रश्मि, डॉ अदिति प्रसाद, डॉ शुभ्रा ठाकुर, डॉ अनीता मिश्रा, कुमार विशाल, सहित विभिन्न महाविद्यालय के फैकल्टी मेंबर्स उपस्थित थे।

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