Jharkhand: दुमका में भाजपा का अंतर्कलह आया सामने, समीक्षा बैठक के दौरान हाथापाई

झारखंड
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देवघर। दुमका में भाजपा का अंतर्कलह सामने आ गया। सोमवार को भाजपा ने देवघर में गोड्डा लोकसभा सीट के लोकसभा नतीजे की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई थी। इसमें स्थानीय विधायक नारायण दास और गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे के समर्थकों के बीच हाथापाई हो गई। विधायक ने सांसद पर हंगामा और मारपीट करने का आरोप लगाया।

इससे पहले दुमका लोकसभा सीट से भाजपा की प्रत्याशी सीता सोरेन ने अपनी हार के लिए भाजपा विधायक रणधीर सिंह, पूर्व मंत्री लुईस मरांडी और पूर्व सांसद सुनील सोरेन समेत कई नेताओं को जिम्मेदार ठहराया था। रविवार को दुमका में भी चुनाव परिणाम की समीक्षा बैठक के दौरान कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया।

चुनाव परिणाम आने के बाद हार-जीत को लेकर इतना बवाल नहीं हुआ, लेकिन जैसे ही समीक्षा शुरू हुई वैसे ही प्रत्याशियों ने अपनी हार की जिम्मेदारी दूसरे नेताओं पर थोप कर अपनी कमजोरियों को छिपाने की कोशिश शुरू कर दी।

चुनाव परिणाम की समीक्षा करने गये प्रदेश स्तर के नेताओं की कमजोरी के कारण भी कार्यकर्ता अनुशासनहीनता पर उतर आये। संथाल परगना की तीनों लोकसभा सीट के परिणाम की समीक्षा करने के लिए रांची से प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू और प्रदेश उपाध्यक्ष बालमुकुंद सहाय संथाल दौरे पर हैं। यह दोनों नेता भाजपा के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं पर काबू पाने में असक्षम साबित हुए। यही वजह है कि कार्यकर्ता इनके सामने ही हंगामा करने लगे।

नारायण दास और सीता सोरेन ने जो आरोप लगाये हैं, उससे यह साफ है कि संथाल परगना में भाजपा के अंदर काफी खींचतान चल रही है। नारायण दास ने आरोप लगाया है कि गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे गोड्डा लोकसभा सीट के अंदर पड़ने वाली विधानसभा सीटों के किसी विधायक और भाजपा नेता को पसंद नहीं करते हैं। निशिकांत दुबे, गोड्डा विधायक अमित मंडल, मधुपुर के पूर्व विधायक राज पलिवार, महगामा के भाजपा नेता अशोक भगत को देखना नहीं चाहते हैं।

सीता सोरेन ने दुमका सीट से हार के लिए पूर्व मंत्री लुईस मरांडी, विधायक रणधीर सिंह और पूर्व सांसद सुनील सोरेन को जिस तरह जिम्मेवार ठहराया है।

उससे यह लग रहा है कि दुमका में भाजपा के अंदर गुटबाजी चरम पर है, लेकिन जिस तरह से सीता ने प्रदेश नेतृत्व की क्षमता पर सवाल उठा दिया है, उससे कहीं न कहीं यह लग रहा है कि सीता सोरेन का अब भाजपा से मोह भंग हो चुका है।

सीता सोरेन के इस तरह खुलकर आरोप लगाने से पार्टी के प्रदेश स्तर के नेता काफी नाराज हैं। सीता सोरेन की यह बेबाकी उनके लिए आगामी विधानसभा चुनाव में मुश्किल पैदा कर सकती है।