CCL : पानी संकट से कर्मी त्रस्‍त, नगर प्रशासन विभाग दे रहा सलाह

झारखंड
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  • सीएसआर पर करोड़ों खर्च कर रही कंपनी, कालोनियों में पानी नसीब नहीं

रांची। कोल इंडिया की सहायक और मिनी रत्‍न कंपनी सीसीएल (CCL) हर साल सीएसआर पर करोड़ों रुपये खर्च कर रहा है। हालांकि कंपनी के क्‍वार्टर में रहने वाले कर्मियों को पानी नसीब नहीं हो रहा है। पानी के संकट के कर्मी त्रस्‍त हैं। नगर प्रशासन विभाग ने पानी कम खर्च करने की सलाह दे रहा है।

सीसीएल के नगर प्रशासन‍ विभाग ने एक सूचना जारी की है। इसमें कर्मियों से कहा गया है कि जवाहर नगर कॉलोनी, राजेंद्र नगर, गांधी नगर कॉलोनी और अस्पताल, दरभंगा हाउस कॉम्प्लेक्स में बोरिंग फेल हो गया है। रांची नगर निगम से पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है। इसके कारण पानी की भारी कमी है। अनुरोध है कि कृपया कम पानी का उपयोग करें। पानी की बर्बादी नहीं करें। इस संबंध में नगर प्रशासन विभाग द्वारा सभी प्रयास किये जा रहे हैं।

ये सभी कालोनियां कंपनी मुख्‍यालय में स्थित हैं। जवाहर नगर कालोनी में सीएमडी, निदेशक जैसे उच्‍चाधिकारियों के आवास हैं। दरभंगा हाउस कॉम्प्लेक्स में तो सारे कार्यालय ही हैं। मुख्‍यालय और उच्‍चाधिकारियों के आवास होने के कारण आमतौर पर यहां नगर प्रशासन विभाग की खास नजर रहती थी। इसके बाद भी यहां पानी की किल्‍लत हो गई है।

कर्मियों के मुताबिक गांधीनगर कालोनी में पानी का संकट काफी दिनों से हैं। यहां लगाया गया बोरिंग फेल हुए एक साल से अधिक हो चुका है। बोरिंग के फेल होने की स्थिति आने से पहले ही कालोनीवासियों की ओर से सीएमडी और निदेशकों को कई बार ज्ञापन सौंपा गया। बावजूद इसके इस ओर कोई ध्‍यान नहीं दिया गया। राजेंद्र नगर कालोनी में पानी संकट का स्‍थाई समाधान कभी हुआ ही नहीं।

कर्मियों का कहना है कि कंपनी करोड़ों के लाभ में है। केंद्र और राज्‍य सरकारों को करोड़ों रुपये टैक्‍स के तौर पर देती है। सीएसआर पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च करती है। हालांकि कर्मियों को पनी का पानी तक नसीब नहीं हो रहा है। सीएसआर के तहत पैसा खर्च करने पर उन्‍हें कोई एतराज नहीं है, लेकिन पहले कर्मियों की समस्‍याओं का निराकरण होना चाहिए।

कर्मियों का यह भी कहना है कि कंपनी हर साल तोड़कर बनाने की नीति पर भी करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। अच्‍छी कंडीशन में मौजूद चीजों को तोड़कर फिर से बनाया जाता है। इसपर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाया जा रहा है। हालांकि कर्मियों की जनसुविधा का ख्‍याल नहीं रखा जा रहा है। इससे सभी परेशान हैं।

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