नदी बचाने का संकल्पः मड़गांव ग्रामसभा के सदस्यों ने बनई नदी पर बनाया दूसरा बोरीबांध, किसान हो रहे धनवान

झारखंड
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मुरहू। मुरहू की जीवनधारा कही जाने वाली बनई नदी को बचाने का प्रयास पिछले कई वर्षों से ग्रामीण कर रहे हैं। जिसका परिणाम है जहां पांच साल पहले चैत के महीने में सूख जाने वाली बनई नदी में जेठ के महीने में भी पानी लबालब रहता है। नदी बचाने की कला ग्रामीण अब सीख चुके हैं, यही कारण है कि मुरहू प्रखंड की गानालोया पंचायत के मड़गांव ग्रामसभा के सदस्यों ने एक सप्ताह के बाद बनई नदी पर दूसरा बोरीबांध आदिवासियों की मदद व श्रमदान परंपरा के तहत बनाया।

हर उम्र के लोगों और महिलाओं ने किया श्रमदान

नदी पर बोरीबांध बनाने के लिए बच्चे, बूढ़े, जवान सबने उत्साह पूर्वक श्रमदान किया। बच्चे उछल-उछल कर बोरे एकत्रित कर रहे थे। तो युवा तूफानी गति से बोरियों में बालू भर रहे थे। बुजुर्ग अपने अनुभव के आधार पर बालू भरी बोरियों से बांध बनाकर पानी रोक रहे थे। लगभग तीन घंटे में बोरीबांध बनकर तैयार हो गया। जिसके बाद नदी में पानी लबालब भर गया। एक सप्ताह पूर्व बनाए गए बांरीबांध में भी काफी पानी जमा हो गया है।

परती जमीन पर अब होने लगी खेती

ग्रामप्रधान जुनास ढ़ोढ़राय और करमसिंह ढ़ोढ़राय ने बताया कि उनके द्वारा बोरीबांध बनाने के कारण ही जिला प्रशासन द्वारा नदी के किनारे सोलर एरिगेशन सिस्टम अधिष्ठापित कराया गया है। जिससे गांव के लोग अब गर्मी के दिनों में भी खेती कर रहे हैं। पानी बह ना जाए, इस कारण ग्रामसभा में निर्णय लेकर श्रमदान से गांव के सीमान क्षेत्र में दो बोरीबांधों का निर्माण सामुदायिक सहयोग से किया गया है।

बोरीबांध निर्माण में जुनास डोढ़राय, सामू ढ़ोढ़राय, एतवा ढ़ोढ़राय, करमसिंह ढ़ोढ़राय, कृष्णा ढ़ोढ़राय, सनिका ढोढ़राय, बिरसा ढोढ़राय, सिंगराय ढोढ़राय, कईला ढोढ़राय, घुसलू ढोढ़राय, सुबोध ढोढ़राय, हेरमन ढोढ़राय, गोगा ढोढ़राय, निकोदिन ढोढ़राय, बिरसा ढोढ़राय, दसाय ढोढ़राय, महादेव ढोढ़राय, बुधुवा ढोढ़राय, लोड़गो ढोढ़राय समेत ग्रामसभा मड़गांव के सभी सदस्यों ने श्रमदान किया।