रांची। कमीशनखोरी के मामले में ईडी का दूसरा समन मिलने पर मंगलवार को ग्रामीण विकास विभाग के पूर्व सचिव और आइएएस अफसर मनीष रंजन हिनू स्थित प्रवर्तन निदेशालय के क्षेत्रीय कार्यालय पहुंचे। ईडी के अधिकारियों ने उनसे घंटों पूछताछ की।
आईएएस मनीष रंजन से सबसे पहले उनसे उनकी और उनके पारिवारिक सदस्यों का ब्योरा, उनकी आमदनी और संपत्ति के बारे में जानकारी मांगी गयी। पूछताछ के दौरान उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने खुद को एक ईमानदार अफसर बताया। उन्होंने कहा कि, वह गलती करनेवाले कर्मचारियों व पदाधिकारियों को नहीं छोड़ते।
हालांकि मंत्री आलमगीर आलम के साथ जब उनके संबंधों के बारे में पूछा गया, तो वह उलझ गये। ईडी की ओर से उन्हें इन सूचनाओं से संबंधित एक फॉर्म दिया गया और सारी सूचनाएं लिखित रूप से देने का निर्देश दिया गया।
गिरफ्तार चीफ इंजीनियर बीरेंद्र राम द्वारा की गयी सूचनाओं के आधार पर जब उनसे सवाल पूछे गये, तो उन्होंने कहा कि वह निर्दोष हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान विभाग में जारी कमीशनखोरी के मामले की आंशिक जानकारी होने और ऐसे लोगों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई करने की बात कही।
विभागीय मंत्री के साथ उनके संबंधों के बारे में पूछे गये सवालों के जवाब देते हुए उन्होंने अपना संबंध सिर्फ विभागीय कामकाज तक ही होने की बात स्वीकार की। हालांकि कुछ सवालों में वह उलझ गये और चुप्पी साध ली।
यहां बता दें कि, मनीष रंजन को कमीशनखोरी के मामले में ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया था। इस मामले में ग्रामीण विकास मंत्री मंत्री आलमगीर आलम, पीएस संजीव लाल और संजीव लाल के सहायक जहांगीर को गिरफ्तार किया गया है। 7 मई को संजीव लाल और जहांगीर के ठिकानों से ईडी ने 35 करोड़ से अधिक की राशि जब्त की थी।