पवित्रम संस्कार वाटिका – दो दिवसीय समर कैंप का समापन

झारखंड
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  • योगा, क्रिएटिविटी, सेवा कार्य, पर्यावरण, गो महत्ता, भारतीय संस्कृति की शिक्षा दी गयी

धनबाद। पवित्रम मातृशक्ति के दो दिवसीय पवित्रम संस्कार वाटिका कार्यक्रम का समापन बच्चों ने अपने माता-पिता की चरण वंदना करते हुए किया। कार्यक्रम का शुभारंभ बच्चों के साथ अग्निहोत्र करके  किया गया था। इस अवसर पर पवित्रम सेवा परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय भरतिया, हरिराम गुप्ता, किशन संधई, संजय सिंघल, परितुष अग्रवाल, अभिषेक जालान, आलोक डोकानिया, अभिषेक सिन्हा, हर्ष गुप्ता, महेंद्र भग्नानिया, अनिल जैन एवं मातृशक्ति की सभी बहने उपस्थित थी।

धनबाद के राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर में आयोजित इस समर केंप में बच्चों को योग, क्रिएटिविटी, पर्सनैलिटी डेवलपमेंट, वैदिक शिक्षा, सेवा कार्य, पर्यावरण, गो महत्ता, देश भक्ति, दैनिक जीवन के श्लोक सहित अनेक विषयों की शिक्षा दी गयी। पवित्रम मातृशक्ति – पवित्रम सेवा परिवार का महिला आयाम है, जो बच्चों में भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों के बीजारोपण का कार्य संस्थापक अजय भरतिया के मार्गदर्शन में कर रहा है।

भरतिया ने बताया कि पवित्रम संस्कार वाटिका कार्यक्रम पिछले 5 वर्षों से चल रहा है। पहले 3 वर्ष ऑनलाइन हुआ था, जिसमें पूरे देश से विभिन्न राज्यों से हजारों बच्चे जुड़े थे। अभी 2 वर्षों से यह कार्यक्रम ऑफलाइन हो रहा है। विगत वर्ष धनबाद के अलावा अन्य जिलों में भी कार्यक्रम हुआ था। इस वर्ष  रांची सहित अन्य शहरों एवं जिलों में इसे कराने की योजना है।

कार्यक्रम के दौरान सुबह बच्चों द्वारा गो पूजन भी किया गया। पर्यावरण को बचाने के लिए भी बच्चो से कई गतिविधियां एवं कार्यक्रम कराए गए। व्यवस्था संचालन में पवित्रम मातृशक्ति की रीता सिह, सीमा मित्तल, पूनम अग्रवाल, मीना डोकानिया, रानी लुहारूका, रीता बंसल, विभा अग्रवाल, अनिता डोकानिया, कोलकाता की मीना नागवान एवं अन्य ने सहयोग किया।

पवित्रम सेवा परिवार के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने बताया कि दो दिनों तक सभी बच्चे बहुत उत्साहित थे। बहुत रुचि के साथ सभी ज्ञानवर्धक गतिविधियों में भाग लेते हुए खूब मस्ती भी की। कार्यक्रम के समापन के समय सभी अभिवावक बच्चों की गतिविधि देखकर खुश थे। कार्यक्रम का संचालन अजय भरतिया ने किया। बच्चों को मंत्रोच्चारण के साथ गो पूजन, अग्निहोत्र, गायत्री मंत्र का पाठ, भोजन मन्त्र सिखाने आदि सभी गतिविधियां उनके मार्गदर्शन में ही हुई।

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