- झालसा के निर्देश पर कार्यक्रम का आयोजन
रांची। झालसा के निर्देश पर न्यायायुक्त-सह-अध्यक्ष के मार्गदर्शन में 30 मई, 2024 को गोस्सनर कॉलेज में नशा उन्मूलन पर जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर एलएडीसी अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा, मध्यस्थ पीएन सिंह, लाईफ सेवर्स एनजीओ के अतुल गेरा, गोस्सनर कॉलेज के शिक्षक-शिक्षिकाएं डॉ. एसके. सिन्हा, डॉ श्यामलता, प्रो. तृप्ति, विधि के छात्र-छात्राएं, अक्क्षिता कुमारी, कुमारी काजल, असमीत पटेल, अंजिता राय, शाम्भवी, सोनल, अक्षत पराशर, अक्षर आदित्य, पीएलवी मानव, राजा व अन्य उपस्थित थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एलएडीसी अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा ने मानव औषधियां और मनःप्रभावी पदार्थ-1985 के अधीन अफीम, गांजा, हेरोईन, ब्राउन शुगर के व्यापार और अफीम की खेती करने से संबंधित अपराध के बारे में जानकारी दी। औषधि और प्रसाधन सामाग्री अधिनियम 1940 के बारे में छात्र-छात्राओं को बताया। इसके अलावा एनडीपीएस, एनसीबी और संविधान के अनुच्छेद – 47 के संबंध में फोकस किया।
मध्यस्थ पीएन सिंह ने कहा कि नशा हम सब के लिए अभिशाप है, जो हमारे समाज में आम है। अच्छी शिक्षा के अभाव में लोग कम उम्र में ही नशा के शिकार हो जाते हैं। आजीवन नशे की लत में रहते हैं। नशा मुक्ति का अर्थ किसी व्यक्ति या समाज को नशे से मुक्त करना होता है। अर्थात् नशे का सेवन करने से बचाव या उसकी नशा को दूर करने का प्रयास है।
लाईफ सेवर्स एनजीओ के अतुल गेरा ने भी नशा उन्मूलन पर प्रकाश डाला। उन्होंने नशा से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि नशा नही करने से मनुष्य स्वस्थ रहता है। नशा शरीर की गुणवत्ता को समाप्त कर देता है। इसका प्रभाव पूरे परिवार पर पड़ता है। नशा से परिवार की आर्थिक, मानसिक और शारीरिक क्षति होता है, जिसका भरपाई कदापि नहीं की जा सकती है।
गेरा ने कहा कि नशा के आदि व्यक्ति का पूरा पैसा नशा करने में खर्च होता है, जिसका प्रभाव उसके परिवार पर पड़ता है। परिवार नष्ट हो जाता है। नशा का आदि व्यक्ति पागलों की तरह इधर-उधर घूमता रहता है, जिससे उसका मान-सम्मान भी समाप्त हो जाता है।
छात्र-छात्राओं को 8 जून को होनेवाले मोटर वाहन दुर्घटना से संबंधित विशेष लोक अदालत व 13 जुलाई को होनेवाले राष्ट्रीय लोक अदालत के बारे में भी बताया गया। उनके बीच नशा से संबंध्ति लिफलेट और पम्पलेट का वितरण भी किया गया।
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