स्थानीय कृषि पारिस्थितिकी और किसानों की मांग आधारित तकनीकी विकास पर जोर

झारखंड कृषि
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  • बीएयू में विभागवार रिसर्च एंड बजट कमेटी की बैठक

रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के अधीन कृषि, वानिकी एवं पशुचिकित्सा क्षेत्र के खरीफ अनुसंधान कार्यक्रमों का विभागवार रिसर्च एंड बजट कमेटी की बैठक मंगलवार को शुरू हुई। बीएयू के निदेशालय अनुसंधान के निर्देश एवं मार्गदर्शन में विवि अधीन संचालित तीनों संकायों के विभिन्न विभागों एवं तीन क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्रों में इस बैठक का आयोजन होगा। इसकी शुरुआत कृषि संकाय अधीन कार्यरत मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विभाग से हुई.

बैठक की अध्यक्षता करते हुए निदेशक अनुसंधान डॉ पीके सिंह ने गुणवत्तायुक्त एवं स्थानीय कृषि पारिस्थितिकी और स्थानीय किसानों की मांग आधारित तकनीकी विकास पर जोर दिया। उन्होंने वैज्ञानिकों को जनजातीय उपपरियोजना के शोध कार्यक्रम में पारदर्शिता रखने, विस्तृत प्रतिवेदन एवं सफल कहानी को संकलित करने का निर्देश दिया।

बैठक में अध्यक्ष (मृदा विज्ञान) एवं डीन एग्रीकल्चर डॉ डीके शाही ने मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विभाग में चलाये जा रहे अनुसंधान कार्यक्रमों, उपलब्धियों एवं नये शोध कार्यक्रमों का सार प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि आगामी खरीफ, 2023 में इफको के सौजन्य से सुपर नैनो यूरिया पर शोध कार्यक्रम शुरू होगा।

आगामी खरीफ मौसम के लिए विभाग गुणवत्तायुक्त जैव उर्वरकों का उत्पादन शुरू करने जा रहा है। सरकारी एवं गैर सरकारी संगठन के अग्रिम मांग पत्र के अनुरूप जैव उर्वरकों का उत्पादन किया जायेगा। इच्छुक किसान भी विभाग से जैव उर्वरकों की खरीद कर सकते है। उन्होंने विभाग में स्वतंत्र सिंचाई जल जांच यूनिट के स्थापना की आवश्यकता बताई।

बैठक में विभाग के वैज्ञानिकों ने राज्य योजना अधीन स्थाई खाद प्रयोग (1956 से), साइल माइक्रोबायोलॉजी, मृदा एवं जल जांच और जैव उर्वरक उत्पादन एवं शोध, आईसीएआर योजना के अधीन दीर्घकालीन उर्वरक प्रयोग (1971 से), एसटीसीआर एवं माइक्रो एवं सेकेंडरी न्यूट्रीएन्ट प्रयोग, एडहोक योजना अधीन नैनो डीएपी प्रयोग के परिणाम एवं योजनाधीन आगामी खरीफ, 2023 के भावी शोध कार्यक्रमों का प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

बैठक के दौरान निदेशक अनुसंधान डॉ पीके सिंह, निदेशक (बीज एवं प्रक्षेत्र) डॉ एस कर्माकार और एक्सपर्ट डॉ एसबी पांडे, पूर्व प्राध्यापक (मृदा विज्ञान), आरएयू, पूसा, समस्तीपुर ने मृदा वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तुत शोध पर अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिये। इसके अनुसार तकनीकी कार्यक्रम में सुधार कर आगामी खरीफ रिसर्च काउंसिल की बैठक में रखने का सुझाव दिया।

मौके पर डॉ बीके अग्रवाल, डॉ पीबी साहा, डॉ अरविंद कुमार, डॉ प्रभाकर महापात्रा, डॉ एसबी कुमार, डॉ आशा सिन्हा, डॉ एनसी गुप्ता, भूपेन्द्र कुमार, अरुण पुरण एवं रिसर्च एसोसिएट/रिसर्च फेलो आदि मौजूद थे।