नई दिल्ली। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने दक्षिण-पश्चिम मानसून, 2024 को लेकर दीर्घावधि पूर्वानुमान जारी किया है। इसके मुताबिक मानसून के दौरान बारिश सामान्य से अधिक होने की संभावना है। विभाग मई, 2024 के अंतिम सप्ताह में मानसून की बारिश के लिए अद्यतन पूर्वानुमान जारी करेगा।
विभाग के अनुसार पूरे देश में 2024 दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून से सितंबर) की बारिश सामान्य से अधिक (दीर्घावधि औसत का 104%) होने की संभावना है। मात्रात्मक रूप से पूरे देश में वर्षा ± 5% की मॉडल त्रुटि के साथ एलपीए का 106% होने की संभावना है। साल 1971-2020 की अवधि के लिए पूरे देश में ऋतुनिष्ठ वर्षा का दीर्घावधि औसत (एलपीए) 87 सेमी है।
वर्तमान में भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र पर अल नीनो की मध्यम स्थिति बनी हुई है। नवीनतम एमएमसीएफएस के साथ-साथ अन्य जलवायु मॉडल पूर्वानुमान से संकेत मिलता है कि मानसून के शुरुआती भाग के दौरान अल नीनो की स्थिति और कमजोर होकर तटस्थ ईएनएसओ स्थितियों में परिवर्तित होने की संभावना है। इसके बाद मानसून के दूसरे भाग में ला नीना स्थितियां विकसित होने की संभावना है।
वर्तमान में हिंद महासागर पर तटस्थ हिंद महासागर द्विध्रुव/डाइपोल (आईओडी) स्थितियां मौजूद हैं। नवीनतम जलवायु मॉडल पूर्वानुमान से संकेत मिलता है कि सकारात्मक हिंद महासागर विद्वध्रुव/डाइपोल स्थितियां दक्षिण-पश्चिम मानसून के उत्तरार्ध के दौरान विकसित होने की संभावना है।
पिछले तीन महीनों (जनवरी से मार्च, 2024) के दौरान उत्तरी गोलार्ध में बर्फ की आवरण सीमा सामान्य से कम थी। उत्तरी गोलार्ध के साथ-साथ यूरेशिया में सर्दियों और वसंत में बर्फ की आवरण सीमा का आगामी भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून के साथ सामान्यतः विपरीत संबंध है।
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