चक्रधरपुर। झारखंड आंदोलनकारी पूर्व विधायक बहादुर उरांव ने कहा है कि प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति का अपमान किये जाने के विरोध में आदिवासी संगठनों को एक दिन का भारत बंद बुलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि, प्रधानमंत्री कुर्सी पर बैठे हों और राष्ट्रपति खड़ा रहें।
उन्होंने कहा कि, ऐसा तब हुआ, जब भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न का सम्मान देने के लिए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति दोनों उनके आवास पर गये थे। जहां राष्ट्रपति खड़ी रहीं और प्रधानमंत्री एवं आडवाणी कुर्सी पर बैठे रहे। यह तस्वीर समाचार पत्रों, न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया पर काफी वायरल भी हो रही है।
श्री उरांव ने कहा कि यह अपमान केवल राष्ट्रपति का ही नहीं है, बल्कि भारत के संवैधानिक व्यवस्था का अपमान है। प्रोटोकोल का अपमान है। आदिवासी समाज और महिलाओं का इससे अपमान हुआ है। उन्होंने कहा कि एक भारतीय होने के नाते राष्ट्रपति के अपमान का मैं घोर निंदा करता हूं और देश वासियों से अपील करता हूं कि इसका विरोध करें, क्योंकि राष्ट्रपति किसी धर्म या जाति का नहीं होता, बल्कि पूरे देश का होता है।
यह पूरे देश और देशवासियों का अपमान है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों का यह अपमान एक बार फिर से मनुवादियों को आगे लाने की कोशिश है। श्री उरांव ने कहा कि आदिवासियों का यह अपमान कोई पहला अपमान नहीं है, बल्कि इससे पहले मध्य प्रदेश में आदिवासी के मुंह में पेशाब किया गया। मणिपुर में आदिवासी बेटियों को बलात्कार कर नंगा कर घुमाया गया।