बीएयू के वानिकी संकाय में कार्यशाला, वनों की महत्‍ता पर चर्चा

झारखंड
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रांची। विश्व वानिकी दिवस पर बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के वानिकी संकाय में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन 21 मार्च को किया गया। इसकी अध्यक्षता वानिकी संकाय के अधिष्ठाता डॉ एमएस मलिक ने की। इस अवसर पर संकाय के सभी शिक्षक और वैज्ञानिकों ने अपने-अपने अनुभव साझा किये।

डॉ शैलेश चट्टोपाध्याय ने वनों के संरक्षण पर प्रकाश डाला। कहा कि वनों की घटती संख्‍या को नए-नए शोध के माध्‍यम से समाधान करने की जरूरत है।

अधिष्ठाता डॉ एमएस मलिक ने कहा कि कृषि वानिकी को बढ़ावा देकर वनों के न्यूनतम 33 प्रतिशत को प्राप्त किया जा सकता है। पर्यावरण के बिगड़ते संतुलन को बचाया जा सकता है।

डॉ नरेंद्र प्रसाद ने कहा कि अभी के समय में वनों के संरक्षण के लिए पारंपरिक पद्धति के साथ नई तकनीक अपनाने की जरूरत है। सुदूर क्षेत्र के लिए रिमोट सेंसिंग और जीआईएस को उपयोग में लाते हुए योजना तैयार करना चाहिए। ड्रोन के माध्यम से पहुंच से दूर के क्षेत्र में पौधरोपण तकनीक अपने की जरूरत है।

डॉ अनिल कुमार ने विश्व वानिकी दिवस को मनाया जाने से संबंधित इतिहास के बारे में बताया। डॉ बसंत चंद्र उरांव ने वनों के महत्व पर प्रकाश डाला। कहा कि हमारे जीवन के लिए ऑक्सीजन की जरूरत पेड़ पौधे ही पूरी करते हैं।

कार्यशाला का संचालन डॉ आशीष कुमार चक्रवर्ती और धन्यवाद डॉ जयकुमार ने किया। इस अवसर पर डॉ पीआर उरांव, डॉ ज्योतिष करकेट्टा, तरुण कुमार सहित संकाय के स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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