कल्पना सोरेन का बड़ा एलान, राजनीति में कल लेंगी एंट्री

झारखंड
Spread the love

झामुमो अध्यक्ष दिशोम गुरुजी और मां से लिया आशीर्वाद

रांची। रविवार को बड़ी खबर आई है, हालांकि इसकी संभावना पहले से ही थी। जेल में बंद झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने आज यानी 3 मार्च 2024 को एक बड़ा एलान किया है। कल्पना कल सोमवार को एक्टिव राजनीति में एंट्री लेंगी। इसकी जानकारी उन्होंने अपने पति के ‘एक्स’ हैंडल से दी है।

उन्होंने पोस्ट के साथ एक तस्वीर भी शेयर की है, जिसमें वह झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के मुखिया शिबू सोरेन का पैर छूती नजर आ रही हैं। इस एलान के साथ कल्पना ने अपना आगे का प्लान भी बताया है।

बताते चलें कि, हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद उनका एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल कल्पना सोरेन ही चला रही हैं। उन्होंने यह एलान करते हुए लिखा, ‘कल गिरिडीह में झामुमो के स्थापना दिवस कार्यक्रम में शामिल होने से पहले आज झारखंड राज्य के निर्माता और झामुमो के माननीय अध्यक्ष आदरणीय बाबा दिशोम गुरुजी और मां से आशीर्वाद लिया।

आज ही सुबह हेमंत जी से भी मुलाकात की। मेरे पिता भारतीय सेना में थे। वह सेना से रिटायर हो चुके हैं। पिताजी ने सेना में रहकर देश के दुश्मनों का डटकर सामना किया। बचपन से ही उन्होंने मुझमें बिना डरे सच के लिए संघर्ष करना और लड़ना भी सिखाया। झारखंडवासियों और झामुमो परिवार के असंख्य कर्मठ कार्यकर्ताओं की मांग पर कल से मैं सार्वजनिक जीवन की शुरुआत कर रही हूं।’ 

कल्पना सोरेन ने आगे लिखा, ‘जब तक हेमंत जी हम सभी के बीच नहीं आ जाते तब तक मैं उनकी आवाज बनकर आप सभी के बीच उनके विचारों को आपसे साझा करती रहूंगी, आपकी सेवा करती रहूंगी। विश्वास है, जैसा स्नेह और आशीर्वाद आपने अपने बेटे और भाई हेमंत जी को दिया है, वैसा ही स्नेह और आशीर्वाद, मुझे यानी हेमंत जी की जीवन संगिनी को भी देंगे।’ 

रविवार को अपने जन्मदिन पर कल्पना सोरेन जेल में बंद हेमंत सोरेन से मुलाकात करने पहुंचीं। उन्होंने एक्स पर लिखा, ’18 वर्षों में यह पहला अवसर है जब जन्मदिन के अवसर पर हेमंत जी परिवार के साथ नहीं हैं।’ वह पूर्व सीएम के लिए कुछ किताबें भी लेकर गई थीं। एक तस्वीर पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा, ‘हेमंत जी को किताबें पढ़ने का हमेशा से शौक रहा है।

वह घर में अपनी किताबों को बहुत प्रेम से संजों कर रखते हैं। अन्य किताबों के साथ-साथ झारखंड और झारखंड आंदोलन से जुड़ी किताबें वह हमेशा विशेष रुचि ले कर पढ़ते रहे हैं। राज्य की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने उनसे मिलने वाले सभी लोगों से ‘बुके नहीं बुक’ देने की अपील की थी। जिसके परिणामस्वरूप पिछले 4 वर्षों में उन्हें हजारों किताबें मिली।