बैंकों के वैधानिक अंकेक्षण में रिजर्व बैंक की गाइडलाइन का पालन जरूरी : सीए केतन सैया

झारखंड
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  • चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के लिण्‍ बैंक ब्रांच ऑडिट पर सेमिनार का आयोजन

रांची। दी इंस्टीट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया की ऑडिटिंग एंड एश्‍योरेंस बोर्ड, नई दिल्ली ने बैंक ब्रांच ऑडिट पर द काव्स में एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में मुंबई के विशेषज्ञ सीए केतन सैया ने बताया कि बैंकों का वैधानिक अंकेक्षण एक दायित्वपूर्ण कार्य है। इसके लिए समय भी निश्चित रहता है। यह काफी काम होता है। उसी समय में हम चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को बैंकों के पूरे वर्ष के लेन देन को देखना होता है। इस कार्य के लिए रिजर्व बैंक के गाइडलाइन का पालन जरूरी है।

सैया ने कहा कि इंस्टीट्यूट द्वारा हर वर्ष बैंक ब्रांच ऑडिट से सम्बंधित किताब भी प्रकाशित किया जाता है, जिसका अध्ययन इस कार्य को आसान बनाता है।  उन्होंने कहा कि कभी-कभी बैंक खातों के एनपीए होने से बचाने के लिए फर्जी इन्सटॉलमेंट के जमा और फिर उसकी निकासी दिखते हैं। इस कारण सितंबर और मार्च की हर एंट्री को ध्यानपूर्वक देखनी चाहिए। उन्होंने बैंक ऑडिट से सम्बंधित स्ट्रेटेजी और डाटा एनालिसिस की तकनीकी पर डेमो के माध्यम से तकनीकी एवं कंप्यूटर की मदद से बैंकों के वैधानिक अंकेक्षण कार्य समयबद्ध तरीके से करने की जानकारी दी। उन्होंने वैधानिक अंकेक्षण से जुड़ी रिपोर्ट की फॉर्मेट एलएफएआर की हर कॉलम को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

सेमिनार के दूसरे तकनीकी सत्र को सम्बोधित करते हुए कानपुर के विशेषज्ञ सीए अनिल सक्सेना ने कृषि लोन से जुड़े एनपीए की जानकारी दी। बताया कि कृषि लोन किसानों को रबी या खरीफ फसलों के लिए दिए जाते हैं। यदि लोन दो खरीफ या रबी फसल के लिए गये हैं और समय बीत गया है। उसे बैंकों द्वारा वसूला नहीं गया है तो ऐसे लोन एनपीए के रूप में चिन्हित होंगे।

सक्‍सेना ने कहा कि जानकारी के अभाव में बैंक हमें बता सकता है कि तीन वर्ष के बाद ही लोन एनपीए होंगे, लेकिन कृषि लोन के सम्बन्ध में ऐसा नहीं है। कृषि लोन को एनपीए घोषित करने से पूर्व हमें यह भी देखना होगा कि सरकार के द्वारा इस क्षेत्र के लिए सूखा या बाढ़ क्षेत्र घोषित तो नहीं किया गया। क्योंकि ऐसी स्थिति में सरकार कृषि लोन की वसूली की समय सीमा बढ़ा देती है।

सेमिनार के उद्घाटन सत्र में इंस्टीट्यूट की रांची शाखा की चेयरपर्सन सीए श्रद्धा बगला ने कहा कि सेमिनार का आयोजन का उद्देश्य चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को बैंकों की वैधानिक ऑडिट से सम्बंधित रिज़र्व बैंक की नई गाइडलाइन की जानकारी देना है, ताकि उन्हें इन जानकारियों की मदद से बैंको के वैधानिक अंकेक्षण में सहूलियत हो सके। उन्होंने कहा कि हमें बैंकों के वैधानिक अंकेक्षण के लिए काफी कम समय मिलता है। फिर भी हम तकनीकी और अपनी जानकारी के बल पर समय सीमा के अंदर अच्छी तरह यह दायित्वपूर्ण कार्य कर सकते हैं|

सेमिनार का संचालन सीए प्रवीण सिन्हा और धन्‍यवाद शाखा सचिव सीए हरेन्दर भारती ने किया। इसके आयोजन में इंस्टीट्यूट की रांची शाखा के उपाध्यक्ष सीए उमेश कुमार, कोषाध्यक्ष सीए अभिषेक केडिया, सीपीइ कमेटी के अध्यक्ष सीए निशांत मोदी, कार्यकारिणी सदस्य और पूर्व अध्यक्ष सीए प्रभात कुमार और सीए पंकज मक्कड़ का महत्वपूर्ण योगदान था।

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