रांची। झारखंड के रांची जिले के कांके प्रखंड के हुसीर स्थित मस्जिद-ए-आइशा के पुननिर्माण और इस्लाहे मुआशरा को लेकर शुक्रवार को जलसा का आयोजन किया गया। इसकी सदारत इमारते शरीया रांची के मुफ्ती अनवर कासमी ने की। जलसे की शुरुआत बाद नमाज ईशा कारी जफर व मुफ्ती वशीम द्वारा विधिवत कुरान की तिलावत से की गयी।
जलसा में मौलाना अब्दुल्लाह सालीम चतुर्वेदी ने कहा कि इस्लाम को मानने वालों की पहचान उसके ईमान व अखलाक से होती है। इंसान को कोशिश करनी चाहिए कि उसकी वजह से किसी को कोई तकलीफ नहीं हो। हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए। अल्लाह ने दुनिया के तमाम जानदारों में इंसान को अशरफुल मखलूकात बनाया है। अशरफुल मखलूकात की विशेष जिम्मेवारी बनती है कि मुआशरा को तमाम बुराइयों व खुराफात रस्मों से निजात दिलाते हुए अल्लाह और नबी आखरुज्जमां के उपदेशों का अक्षरशः पालन सुनिश्चित करे। ऐसा नहीं करने वालों पर अल्लाह और रसूल की नाफरमानी मानी जाएगी।
मौलाना अकरम कासमी ने मुस्लिम समाज में फैली बुराईयों, बेटियों को दहेज के लालची दानवों की कु-कृत्यों का जमकर विरोध किया। कहा कि इस मनहूस प्रथा को समाप्त कर बेटियों को उसे उच्च स्थान दिलाने में सामाजिक वातावरण को इसके लिए तैयार करना वक्त की अहम जरूरत है। नौजवानों में बढ़ती अपराध प्रवृति, शराब खोरी पर चिंता जताई। उन्होंने गलत संगत में पड़ कर अपनी हंसती खेलती जिंदगी को बर्बादी के रास्ते पर ले जाने से परहेज की अपील की।
इस मौके पर मस्जिद ए आइशा के पुननिर्माण को लेकर चंदा भी हुआ। साथ ही शायरे इस्लाम असअद आजमी द्वारा नात पढ़ी गई, जबकि नेजामत सुफियान हैदर ने किया।
जलसा को सफल बनाने में आयोजन समिति के सरपरस्त डॉ. अलीमुल्लाह, हाजी इलियास, हाजी असीउद्दीन अंसारी, मौलाना नैयर इकबाल, नसीम अंसारी, शकील अंसारी, नेसार अहमद, हाजी अब्दुल वाहीद, हसमत अंसारी, खालिद अंसारी, डॉ. मुमताज अंसारी, अब्दुल कयुम अंसारी, हाफीज हफीज अंसारी, कारी सोहराब अंसारी, अप्पू, मोकीत, सलामत अंसारी, मुखिया विजय उरांव, अमानत अंसारी, सरवर आलम, अबु तालीब आदि लोगों की भूमिका रही।
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