तीन घंटे में बनई नदी पर बना 300 फीट लंबा बोरीबांध

झारखंड
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  • लबालब भरा पानी, खुशी से झूमे ग्रामीण, किया भोज

खूंटी। नदी बचाओ अभियान के तहत जामटोली-घाघरा गांवों के मध्य बनई नदी पर एक और बोरीबांध का निर्माण गांव के बच्चे-बूढ़े, महिला-पुरूष व युवाओं ने श्रमदान कर रविवार को किया। गांव के सुखदेव मुंडा की अगुवाई में ग्रामीणों ने बोरीबांध का निर्माण किया। लगभग 300 फीट लंबा बोरीबांध बनाने में ग्रामीणों को तीन घंटे का समय लगा। बांध बनते ही नदी पानी से लबालब भर गया, जिसे देख गांव के लोग काफी प्रसन्न हुए। इस खुशी में देर शाम जामटोली में सामूहिक भोज का आयोजन किया गया, जिसमें जामटोली व घाघरा गांव के लोग शामिल हुए।

बालू के अवैध उठाव पर अंकुश

बता दें कि पिछले तीन सालों से बनई नदी पर बोरीबांध बनाकर नदी को बचाने का काम किया जा रहा है। इस वर्ष यह कार्य पूरी तरह समुदाय के द्वारा आपसी सहयोग के बल पर किया जा रहा है। परिणाम यह है कि नदी के किनारे बसे कई गांवों के लोगों ने बालू के अवैध उठाव पर ग्रामसभा के स्तर से अंकुश लगाया है। वहीं, बोरीबांध बनने से आसपास का भूगर्भीय जल स्तर उपर आ रहा है। गर्मी के दिनों में भी लोग खेती करने लगे हैं। चार वर्ष पहले बनई नदी पर स्थित पंचघाघ जलप्रपात सुख जाया करता था। अब गर्मी के दिनों में पंचघाघ के झरने बहते हैं।

भूगर्भीय जल स्तर उपर आएगा

मौके पर उप मुखिया बिरसा मुंडा ने कहा कि नदी के लगातार कटाव से इसका अस्तित्व खत्म होता जा रहा है। बोरीबांध बनने से मिट्टी का कटाव रूकेगा। आसपास के गांवों में भूगर्भीय जल स्तर उपर आएगा। बसंत मुंडा ने कहा कि जल ही हमारा जीवन है। इस कारण गांव के बच्चे-बुढ़े, महिला पुरूष सबने मिलकर नदी को बचाने का छोटा सा प्रयास किया है। गर्मी के दिनों में यहां नदी सूख जाती थी, लेकिन बोरीबांध बनने के बाद सालों भर नदी में पानी रहता है, जिससे महिलाओं के नहाने-धोने व मवेशियों को पीने के लिए पानी मिलता है।

जल संरक्षण व नदी बचाना उद्देश्‍य

देबी गुड़ी महिला मंडल की दीदी बाल्मिकी देवी ने कहा कि हम महिला समूह की दीदियों ने मिलकर श्रमदान किया। कारण कि नदी को बचाना जरूरी है। जल संरक्षण व नदी बचाना बोरीबांध बनाने का मुख्य उद्देश्य है। सुखदेव मुंडा ने कहा कि बनई नदी पर जामटोली के सीमान समेत बांधटोली में भी बोरीबांध का निर्माण किया जाएगा।

इन लोगों ने किया श्रमदान

बोरीबांध निर्माण में श्रमदान करने वालों में सुखदेव मुंडा, मागो मुंडा, बसंत मुंडा, राहुल महतो, सिंगराय मुंडा, भीम प्रधान, संजीत कुम्हार, फागू मुंडा, चैतु मुंडा, मंगरा मुंडा, हाराधन तोपनो, सुखराम मुंडा, नयन मुंडा समेत जामटोली व घाघरा के ग्रामीण शामिल थे।

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