ISRO ने एक बार फिर रचा इतिहासः आदित्य-L1 कक्षा में हुआ स्थापित, ये होंगे फायदे

नई दिल्ली देश
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नई दिल्ली। आज शनिवार का दिन हर भारतीय के लिए गर्व करने का दिन है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक बार फिर से इतिहास रच दिया है।

सूरज के क्रियाकलापों का अध्ययन करने के लिए लॉन्च किया गया आदित्य अब अपनी कक्षा के L1 बिंदु पर पहुंच गया है। यह बिंदु पृथ्वी से 15 लाख किलो मीटर की दूरी पर है। आदित्य-L1 मिशन को 2 सितंबर 2023 को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था।

पांच महीने पहले इसकी लांचिंग PSLV-C57 से की गई थी। इसके माध्यम से अब इसरो को कोरोनल हीटिंग, सूर्य सतह पर होने वाले विस्फोट और सौर हवाओं सहित सूर्य की प्रणाली के बारे में जानकारी मिलेगी। इस मिशन का बजट 1,000 करोड़ रुपए है और इसका कार्यकाल कम से कम 5 साल है।

इसरो ने आदित्य-L1 के साथ 7 पेलोड भेजे थे। इसमें से चार पेलोड सूर्य की मॉनिटरिंग का काम करेंगे। वहीं तीन पेलोड इन-सीटू प्रयोग के लिए हैं। इन्हीं पेलोड के माध्यम से आए डाटा के जरिए सूरज के रहस्यों को समझने और रियल टाइम सौर गतिविधि पर नजर रखने में मदद मिलेगी।

आदित्य-L1 के माध्यम से इसरो सूर्य की कोरोनल हीटिंग और मास इजेक्शन के साथ अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता जैसे कई मुद्दों को समझने का प्रयास करेगा। इसके लिए वह प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की बाहरी परतों का अध्ययन करेगा। यह अंतरिक्ष मौसम को समझने में बहुत ज्यादा मददगार होने जा रहा है।