इस्लामाबाद। खबर सीमा पार पाकिस्तान के इस्लामाबाद से आई है। मंगलवार को आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत स्थापित एक स्पेशल कोर्ट ने पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी को साइफर मामले (cipher case) में 10 साल जेल की सजा सुनाई है।
इमरान खान तोशाखाना केस में पहले से जेल में हैं। पाकिस्तान में आम चुनाव हो रहे हैं। इस बीच कोर्ट के इस फैसले को उनके लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। आठ फरवरी को पाकिस्तान में आम चुनाव के लिए मतदान होगा।
इमरान खान की पार्टी पीटीआई के खिलाफ सरकार ने सख्त कार्रवाई की है। इसके चुनाव चिह्न बल्ला पर रोक लगा दी गयी है। पार्टी बगैर चुनाव चिह्न के चुनाव लड़ रही है। बताते चलें कि, साइफर राजनयिक दस्तावेज है। इसे दूसरे देश में तैनात किए गए राजदूत अपने देश को जानकारी देने के लिए भेजते हैं। साइफर विदेश मंत्रालय को मिलता है।
साइफर में लिखी गई बातों को गुप्त रखा जाता है। इसे सार्वजनिक नहीं किया जाता। इमरान खान को प्रधानमंत्री की कुर्सी से हटाने के लिए सभी विपक्षी दल एक साथ आए थे। विपक्षी दलों ने मिलकर इमरान के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। इमरान की सरकार कई दलों के साथ गठबंधन कर बनाई गई थी। संसद में बहुमत साबित नहीं कर पाने के चलते इमरान को कुर्सी से हटना पड़ा था।
इमरान खान ने खुद को कुर्सी से हटाए जाने को अमेरिका की साजिश बताया था। उन्होंने एक साइफर के हवाले से दावा किया था कि अमेरिका ने उन्हें कुर्सी से हटाने के लिए धमकी दी है। इमरान खान के खिलाफ गोपनीय दस्तावेज को सार्वजनिक करने का मामला दर्ज किया गया था।
इमरान के पीएम रहने के दौरान शाह महमूद कुरेशी पाकिस्तान के विदेश मंत्री थे। इसके चलते उन्हें भी 10 साल जेल की सजा मिली है। दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने इमरान और कुरैशी की गिरफ्तारी के बाद की जमानत को मंजूरी दे दी थी।
इमरान अन्य मामलों में जेल में बंद रहे। वहीं, कुरैशी की अपेक्षित रिहाई भी रुक गई। उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया और 9 मई के एक नए मामले में उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया।