नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिल्कयारा सुरंग से सफलतापूर्वक बचाए गए श्रमिकों से टेलीफोन पर 29 नवंबर को बातचीत की। सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को 17वें दिन वहां से निकालने में सफलता मिली थी। सुरंग से सफलतापूर्वक बचाए गए श्रमिकों की चिकित्सा जांच चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में की जा रही है।
इस बीच पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा कि इन श्रमिकों ने जो हौसला दिखाया, उससे प्रेरणा मिलती है कि विपदा आती हैं लेकिन आदमी को हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। उनकी हिम्मत ने हमारा हौसला बढ़ाया और हम ये काम कर सके।
श्रमिकों को सुरक्षित बचाए जाने पर अंतर्राष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने कहा कि हम शांत थे। हम जानते थे कि वास्तव में हमें क्या करना है। हमने एक अद्भुत टीम के रूप में काम किया। भारत के सर्वश्रेष्ठ इंजीनियर, सेना, सभी एजेंसियां इस सफल मिशन का हिस्सा बनना खुशी की बात है।
श्रमिकों को बचाने वालों में शामिल एनडीआरएफ कर्मी मनमोहन सिंह रावत ने बताया कि मैं जैसे ही टनल के अंदर पहुंचा तो सभी श्रमिक बहुत खुश थे कि एनडीआरएफ टीम पहुंच चुकी है। यह हमारे लिए काफी चुनौतीपूर्ण था। उनका मानसिक संतुलन बनाने के लिए हम उन्हें आश्वस्त करते रहे कि उन्हें जल्द ही बचा लिया जाएगा।
उत्तरकाशी सुरंग से बचाए गए एक श्रमिक सुबोध कुमार वर्मा ने बताया कि हमें सुरंग में 24 घंटें तक खान-पान और हवा से संबंधित परेशानी हुई। इसके बाद पाइप के द्वारा खाने-पीने की चीज़ें भेजी गईं। मैं स्वस्थ हूं। कोई परेशानी नहीं है। केंद्र और राज्य सरकार की मेहनत थी, जिसकी वजह से मैं निकल पाया।
एक अन्य श्रमिक विश्वजीत कुमार वर्मा ने कहा कि जब मलबा गिरा, तब हमें पता चल गया कि हम फंस गए हैं। सभी हमें निकालने के प्रयास में लगे रहे। हर तरह की व्यवस्था की गई। ऑक्सीजन की, खाने-पीने की व्यवस्था की गई। पहले 10-15 घंटे हमें दिक्कत का सामना करना पड़ा। बाद में पाइप के द्वारा खाना उपलब्ध कराया गया। बाद में माइक लगाया गया था। परिवार से बात हो रही थी। अब मैं खुश हूं।
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