पिथौरागढ़। गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तराखंड के एक दिनी दौरे पर यहां पहुंचे, जहां उन्होंने भगवान शिव के परिवार का निवास स्थान मानी जाने वाली आदि कैलाश चोटी के दर्शन किए और पार्वती कुंड के किनारे स्थित प्राचीन शिव-पार्वती मंदिर में पूजा-अर्चना की।
अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, प्रधानमंत्री सुबह यहां जोलिंगकोंग हैलीपैड पर उतरे, जहां से वह दाहिनी ओर करीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी कार से तय करते हुए हिमालय की चोटी पर स्थित पार्वती कुंड और शिव मंदिर पहुंचे।

पारंपरिक पगड़ी और रंगा (शरीर के उपरी हिस्से में पहना जाने वाला वस्त्र) पहने मोदी ने मंदिर में आरती की। पुजारियों ने पौराणिक काल से प्रसिद्ध शिव-पार्वती की माटी पूजा पूरे विधि विधान के साथ संपन्न करवाई।
इसके बाद मोदी ने आदि कैलाश चोटी के सामने हाथ जोड़कर कुछ देर ध्यान भी लगाया। इस दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उनके साथ मौजूद थे, जिन्होंने सोशल मीडिया मंच इंस्टाग्राम पर मोदी की एक रील भी पोस्ट की। आदि कैलाश और पार्वती कुंड के दर्शनों से अभिभूत नजर आए प्रधानमंत्री ने कहा कि आदि कैलाश के दर्शन कर उनका मन प्रसन्न और जीवन धन्य हो गया।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि है और यहां कण-कण में देवताओं का वास है। उन्होंने कहा कि देवभूमि के मंदिर आस्था ही नहीं, बल्कि आर्थिकी का भी केंद्र हैं। कारण इन मंदिरों से हजारों लोगों की आर्थिकी भी प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जुड़ी हुई है।
मोदी ने कहा कि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सभी मंदिरों को एक सर्किट के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस दौरान, धामी ने प्रधानमंत्री को आदि कैलाश और आसपास के क्षेत्र के बारे में जानकारी दी। मोदी पिथौरागढ़ जिले में चीन और नेपाल की सीमा से सटे 14 हजार फुट से अधिक की उंचाई पर स्थित आदि कैलाश की यात्रा करने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री हैं।
आदि कैलाश से मोदी सीमांत गुंजी गांव गए, जहां उन्होंने स्थानीय लोगों तथा सुरक्षा बलों से बातचीत की। इस दौरान प्रधानमंत्री ने स्वयं नगाड़ा भी बजाया। मोदी ने स्थानीय उत्पादों और शिल्प की एक प्रदर्शनी भी देखी।
गुंजी में मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को अंगवस्त्र तथा प्रतीक चिन्ह के रूप में ओम पर्वत की फोटो भेंट की। वहीं रं जनजाति के लोगों ने उन्हें मानसरोवर झील के पवित्र जल से भरा एक कलश भेंट किया। इसके बाद प्रधानमंत्री अल्मोड़ा में भगवान शिव के एक और प्रसिद्ध धाम जागेश्वर पहुंचे और पूजा-अर्चना की। कुल 124 मंदिरों के समूह जागेश्वर धाम में उन्होंने पुष्टिमता और महामृत्युंजय पूजा की।
इसके बाद वह वापस पिथौरागढ़ गए, जहां उन्होंने 4200 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करने के अलावा एक जनसभा को भी संबोधित किया।