पटना। शिक्षक संगठनों ने नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिए जाने की सरकारी पहल का स्वागत किया है। इसके साथ ही प्रस्तावित नियमावली के कई बिंदुओं पर आपत्ति जताई है। कुछ सुझाव भी दिए हैं।
टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक राजू सिंह, प्रदेश अध्यक्ष संजीत भारती, प्रदेश महासचिव आलोक रंजन और प्रदेश उपाध्यक्ष आफताब फिरोज एवं टीईटी शिक्षक संघ (मूल) के प्रदेश अध्यक्ष अमरदीप डिसूजा, टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम एवं टीईटी शिक्षक संघ ( भारतीय मजदूर संघ) के प्रदेश अध्यक्ष नितेश कुमार ने नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी बनाने की दिशा में सरकार द्वारा की गई पहल का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि सरकार के नियोजित शिक्षकों की बहुप्रतीक्षित मांग राज्यकर्मी का दर्जा दिए जाने की पहल स्वागतयोग्य है। हालांकि प्रस्तावित नियमावली के कई बिंदुओं पर हम सभी को आपत्ति है।
प्रदेश संयोजक राजू सिंह ने सरकार द्वारा राज्यकर्मी का दर्जा देने के लिए विभागीय परीक्षा का समर्थन किया। सरकार से मांग की है कि यह प्रस्तावित सक्षमता परीक्षा का सिलेबस व पैटर्न पूर्व में नियोजित शिक्षकों के लिए आयोजित दक्षता परीक्षा के अनुरूप ही रखा जाए। उक्त परीक्षा का आयोजन नियमावली लागू होने के एक माह के अंदर किया जाए। तीन बार परीक्षा में फेल होने पर सेवा मुक्त करने के प्रावधान को हटाया जाए। ये प्रावधान किसी भी सूरत में शिक्षकों को स्वीकार्य नहीं है।
प्रदेश संयोजक ने कहा कि नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी बनाने जाने से उनकी बहुत सारी समस्याएं स्वतः समाप्त हो जाएंगी। विशेषकर जो नियोजित शिक्षकों की वर्षों से जो ऐच्छिक स्थानांतरण की लंबित मांग है, वह भी पूरी हो जाएगी। हालांकि 2020 नियमावली में भी शिक्षिकाओं के लिए ऐच्छिक और शिक्षकों के लिए पारस्परिक स्थानांतरण का प्रावधान किया गया था, लेकिन उसे 3 साल बीत जाने के बावजूद लागू नहीं किया जा सका। सरकार विभागीय परीक्षा के तत्काल बाद नियोजित शिक्षकों को ऐच्छिक स्थानांतरण का लाभ देते हुए ज्वाइनिंग कराई जाए।
बिंदुवार आपत्ति एवं सुझाव
i) विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षकों के लिए प्रयुक्त नई शब्दावली ‘विशिष्ट शिक्षक’ के बदले BPSC उत्तीर्ण शिक्षकों की भांति ‘विद्यालय अध्यापक’ ही रखा जाए। विशिष्ट शिक्षक शब्दावली का प्रयोग विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए किया जाता है। ऐसे में ये नया नाम हमें स्वीकार नहीं है।
ii) एक विद्यालय में दो कोटि के शिक्षक नहीं बनाए जाएं। इसलिए अत्यावश्यक है कि एक ही कॉमन नियमावली विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षकों एवं बीपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षकों के लिए बनाया जाए। एक विद्यालय में एक ही संवर्ग के शिक्षक हों। इस से विद्यालय शैक्षणिक वातावरण बेहतर रहता है।
iii) विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षकों को नए पे-स्ट्रक्चर में वर्तमान में प्राप्त मूल वेतन के समस्थानिक इंडेक्स का मूल वेतन दिया जाए। इस से किसी भी प्रकार की वेतन विसंगति नहीं आएगी और भविष्य में भी आपसी वरीयता को लेकर कोई विवाद नहीं होगा। अन्यथा की स्थिति में बहुतेरे प्रकार के वेतन विसंगति एवं वरीयता को लेकर विवाद की स्थिति बनेगी।
iv) विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षकों को सेवा निरंतरता का लाभ दिया जाए एवं प्रोन्नति को लेकर 2012 नियमावली के तहत प्रावधानों को अक्षुण्ण रखा जाए। स्नातक ग्रेड के शिक्षकों को 5 वर्ष के प्रशिक्षित वेतनमान में सेवा के बाद वरीय स्नातक शिक्षक के पद पर अनिवार्य रूप से प्रोन्नति दी जाए।
v) 1 से 5 में बहाल 22 हजार बीएड योग्यताधारी नवनियुक्त शिक्षकों को राज्यकर्मी बनाने पर स्थिति स्पष्ट किया जाए क्योंकि सरकार ने अबतक उन्हें सम्बर्धन कोर्स नहीं कराया है।
vi) नियोजित से विशिष्ट शिक्षक बनने वाले शिक्षकों को राज्यकर्मी को देय सुविधा यथा एनपीएस, प्रोविडेंट फंड, ग्रेच्युटी, संचित अवकाश, बीमा, पेंशन आदि को स्पष्ट किया जाए।
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