नई दिल्ली। कोयला कामगारों के 11वें वेतन समझौते को लेकर मामला गर्माया हुआ है। कोल इंडिया प्रबंधन ने फिलहाल वेतन भुगतान पर रोक लगा दिया है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट, जबलपुर के आदेश के बाद कोयला मंत्रालय ने वेतन समझौते से पल्ला झाड़ लिया है। हालांकि इस कदम के बाद भी मंत्रालय के लोग इस मामले में बच नहीं सकते हैं।
यह सर्वविदित है कि कोल इंडिया के अधिकारियों ने कामगारों के वेतन समझौते को चुनौती दी थी। इसपर रोक लगाने की मांग की थी। कहा था कि इसमें डीपीई की मंजूरी नहीं ली गई है। बीते 29 अगस्त को अंतिम सुनवाई के बाद जबलपुर हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। यूनियन की ओर से इसमें एचएमएस के नाथूलाल पांडेय ने दलील दी थी।
जबलपुर हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 11वों वेतन समझौते के 22 जून, 2023 के कोल मंत्रालय द्वारा जारी अप्रूवल ऑर्डर को रद्द कर दिया। इस मामले पर निर्णय लेने के लिए डीपीई के पास भेजने का आदेश दिया है। उसपर 60 दिनों में निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
कोर्ट का आदेश आने के बाद कोयला मंत्रालय की ओर से एक पत्र डीपीई सचिव को भेजा गया। यह पत्र कोयला सचिव के अनुमोदन से जारी किया है। इसमें कहा गया है कि कोल इंडिया ने यहां कोयला मंत्रालय को गलत तरीके से प्रस्तुत किया है, जिसके कारण मंत्रालय द्वारा एनसीडब्ल्यूए-11 की पुष्टि की गई है।
जानकारी हो कि कोयला कामगारों के 11वें वेतन समझौते पर 20 मई, 2023 को हस्ताक्षर किए गए थे। इसके बाद कोल इंडिया की ओर से इसे मंत्रालय में अनुमोदन के लिए भेजा गया था। वहां से मंजूरी मिलने के बाद कोल इंडिया ने 22 जून, 2023 को नया वेतनमान लागू किया।
इस बीच 11वें वेतन समझौते से संबंधित फाइल मंत्रालय में ही रही। इस दौरान मंत्रालय की ओर से कुछ बिंदुओं पर जवाब भी मांगे गए। बताया जाता है कि कलकुलेशन में गड़बड़ी उजागर होने पर एक निदेशक को डांप भी पिलाई गई थी। बारीकी से जांच-पड़ताल करने के बाद भी मंत्रालय की ओर से वेतन समझौते की मंजूरी दी गई थी।
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