नई दिल्ली। सोमवार को आखिरकार राज्यसभा में 7 घंटे तक चली लंबी बहस और विरोध के बाद दिल्ली अध्यादेश पास हो गया। वोटिंग के बाद जब नतीजे आए, तो सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्ष भी हैरान रह गया।
दरअसल जब वोटिंग के नतीजे आए, तो बिल के समर्थन में सरकार को उम्मीद से ज्यादा वोट मिले। वहीं बिल के विरोध में उम्मीद से भी कम वोट पड़े। राज्यसभा से बिल पास होने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे जनतंत्र के खिलाफ काला कानून बताया।
राज्यसभा में उस वक्त वोटिंग को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई, जब उपसभापति ने बताया कि वोटिंग के समय कुछ मशीनों में दिक्कत है। थोड़ी देर बाद उपसभापति ने घोषणा की कि मशीनों में खराबी के कारण वोटिंग पर्ची के जरिए कराई जाएगी। इसके बाद सांसदों को वोटिंग का प्रावधान समझाया गया।
बिल का विरोध कर रहे नेताओं को उम्मीद थी कि वह एक साथ आकर बिल को राज्यसभा में रोक देंगे। जब वोटिंग हुई, तो विपक्ष को महज 102 वोट ही मिल सके। वहीं, सरकार को समर्थन में 128 या 129 सांसदों का वोट मिलने का अनुमान था। लेकिन जब नतीजे आए, तो सरकार को 131 वोट मिले। फिलहाल, राज्यसभा में सदस्यों की संख्या 238 है और 7 पद रिक्त हैं।
बिल के विरोध में आप को राज्यसभा में कांग्रेस (31), ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (13), आम आदमी पार्टी (10), द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (10), भारत राष्ट्र समिति (7), राष्ट्रीय जनता दल (6), सीपीएम (5), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (4), समाजवादी पार्टी (3), शिवसेना UBT (3), सीपीआई (2), झारखंड मुक्ति मोर्चा (2), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (1), राष्ट्रीय लोकदल (1), जनता दल यूनाइटेड (5) का साथ मिला।
वहीं, हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने भी बिल का विरोध किया। खास बात है कि इस दौरान बहुजन समाज पार्टी, जनता दल सेक्युलर मतदान से दूर रहे। जबकि, पहले NDA का सदस्य रहे शिरोमणि अकाली दल ने बिल को लेकर दोनों ही पक्षों पर निशाना साधा।
राज्यसभा में दिल्ली सेवा बिल पर बहस का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वह सबूत देंगे कि यह विधेयक किसी भी एंगल से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन नहीं करता है। यह विधेयक दिल्ली पर मौजूदा केंद्र सरकार के अध्यादेश को बदलने का प्रयास है।
राज्यसभा से बिल पास होने के बाद आप संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बिल को काला कानून बताया। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “प्रधानमंत्री जी, ये काला कानून जनतंत्र के खिलाफ है, जनतंत्र को कमजोर करता है। अगर जनतंत्र कमजोर होता है, तो हमारा भारत कमजोर होता है। पूरा देश समझ रहा है कि इस बिल के माध्यम से कैसे आप दिल्ली के लोगों के वोट की ताकत को छीन रहे हैं।
दिल्ली के लोगों को गुलाम और बेबस बना रहे हैं। उनकी सरकार को निरस्त कर रहे हैं। मैं आपकी जगह होता, तो कभी ऐसा नहीं करता। अगर कभी देश और सत्ता में चुनना हुआ, तो देश के लिए सौ सत्ता कुर्बान। सत्ता तो क्या, देश के लिए सौ बार अपने प्राण भी कुर्बान।
बता दें कि राज्यसभा से पास होने के बाद यह बिल राष्ट्रपति के पास जाएगा। जैसे ही महामहिम इस बिल पर अपनी मुहर लगा देंगी, वैसे ही ये बिल कानून में बदल जाएगा। कानून बनने के बाद दिल्ली में समूह-ए के अधिकारियों के स्थानांतरण एवं पदस्थापना के लिए एक प्राधिकरण के गठन के लिहाज से लागू अध्यादेश का स्थान लेगा।
दरअसल, इसके जरिए केंद्र सरकार को दिल्ली में अधिकारियों के तबादले, नियुक्ति और निगरानी समेत कई अधिकार मिल जाएंगे। दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच लंबे समय से इस मुद्दे पर तकरार जारी थी।