सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा की जांच के लिए बनाई कमेटी, हाईकोर्ट की तीन ये पूर्व जज शामिल

नई दिल्ली देश
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नई दिल्ली। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में जातीय हिंसा से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई की और इस दौरान मानवीय सुविधाओं के लिए हाईकोर्ट के तीन पूर्व जजों की कमेटी बनाई है। ये कमेटी सीबीआई और पुलिस जांच से अलग मामलों को देखेगी।

यह समिति महिलाओं से जुड़े अपराधों और अन्य मानवीय मामलों व सुविधा की निगरानी करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पद से रिटायर जस्टिस गीता मित्तल, जस्टिस आशा मेनन और जस्टिस शालिनी पनसाकर जोशी की तीन सदस्यीय न्यायिक जांच कमेटी बनाई है।

वहीं सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हम जमीनी स्थिति को समझने की कोशिश कर रहे हैं, हम सभी शांति की बहाली चाहते हैं। कोई भी छोटी चूक बहुत गहरा असर डाल सकती है।

मणिपुर के पुलिस महानिदेशक राजीव सिंह जातीय हिंसा और प्रशासन द्वारा इससे निपटने के लिए उठाए गए कदमों तथा प्रभावी जांच के उद्देश्य से मामलों को अलग करने संबंधी प्रश्नों के उत्तर देने के लिए मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष पेश हुए।

केंद्र और राज्य सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले अलग-अलग करने सहित विभिन्न मामलों पर शीर्ष अदालत द्वारा एक अगस्त को मांगी गई रिपोर्ट उसे सौंपी। पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं।

अटॉर्नी जनरल ने पीठ से कहा, ‘‘सरकार बहुत परिपक्व तरीके से हालात से निपट रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने संवेदनशील मामलों की जांच के लिए जिला स्तर पर पुलिस अधीक्षकों की अध्यक्षता में एसआईटी गठित करने का प्रस्ताव रखा है और इसके अलावा 11 मामलों की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) करेगी।

मामले की सुनवाई अभी जारी है। इससे पहले मणिपुर की स्थिति पर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक अगस्त को कहा था कि वहां कानून-व्यवस्था एवं संवैधानिक तंत्र पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है।

केंद्र ने पीठ से आग्रह किया था कि भीड़ द्वारा महिलाओं के यौन उत्पीड़न के वीडियो से संबंधित दो प्राथमिकी के बजाय, 6,523 प्राथमिकियों में से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा से संबंधित 11 मामलों को सीबीआई को सौंपा जाए और मुकद्दमे की सुनवाई मणिपुर के बाहर कराई जाए। पीठ हिंसा से संबंधित लगभग 10 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।