नई दिल्ली। बड़ी खबर यह आ रही है कि रूस का चांद पर जाने का सपना चकनाचूर हो गया है। Russia का चांद पर भेजा गया स्पेसक्राफ्ट Luna-25 चंद्रमा की सतह पर क्रैश हो गया है। रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस (Roscosmos) ने यह बात मान ली है।
रूसी स्पेस ने कहा कि उनसे गलत पैरामीटर्स सेट हुए। अपने डेटा एनालिसिस में गलती हुई। जिसकी वजह से यान गलत ऑर्बिट में गया और क्रैश हो गया। रूस अब एकदम से चांद पर जाने का मिशन नहीं बना सकता। उसका सपना चकनाचूर हो चुका है।
रूसी स्पेस एजेंसी ने कहा कि कल लूना-25 से संपर्क साधने में दिक्कत आई थी। इसके बाद उससे संपर्क साधने के कई प्रयास किए गए, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
रॉसकॉसमॉस ने कहा कि शुरुआती जांच के अनुसार Luna-25 असली पैरामीटर्स से अलग चल गया था। तय ऑर्बिट के बजाय दूसरी ऑर्बिट में चला गया, जहां पर उसे जाना नहीं चाहिए था। इसकी वजह से वह सीधे चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास जाकर क्रैश हो गया।
रूस ने करीब 47 साल बाद चांद पर कोई मिशन भेजा था, लेकिन उसका पांच दशक पुराना सपना अब नहीं रहा। Luna-25 को लेकर दावा किया जा रहा था कि वह Chandrayaan-3 से पहले चांद पर लैंड करेगा। लेकिन यह क्रैश लैंडिंग होगी, इसका अंदाजा रूसी स्पेस एजेंसी को भी नहीं थी।
Luna-25 को 11 अगस्त की सुबह 4:40 बजे अमूर ओब्लास्ट के वोस्तोनी कॉस्मोड्रोम से लॉन्च किया गया। लॉन्चिंग सोयुज 2.1बी रॉकेट से किया गया। इसे लूना-ग्लोब (Luna-Glob) मिशन भी कहते हैं। 1976 के लूना-24 मिशन के बाद से आज तक रूस का कोई भी यान चांद के ऑर्बिट तक नहीं पहुंचा है। ये पहुंचा लेकिन बुरी हालत में।
रूस ने सोयुज रॉकेट से लॉन्चिंग की थी। यह करीब 46.3 मीटर लंबा था। इसका व्यास 10.3 मीटर था। वजन 313 टन था। इसने Luna-25 लैंडर को धरती के बाहर एक गोलाकार ऑर्बिट में छोड़ा। जिसके बाद यह स्पेसक्राफ्ट चांद के हाइवे पर निकल गया। उस हाइवे पर उसने 5 दिन यात्रा की। इसके बाद चांद के चारों के ऑर्बिट में पहुंचा। लेकिन तय लैंडिंग से एक दिन पहले ही क्रैश कर गया।
रूस का प्लान था कि 21 या 22 अगस्त को लूना-25 चांद की सतह पर उतरेगा। इसका लैंडर चांद की सतह पर 18 km ऊपर पहुंचने के बाद लैंडिंग शुरू करेगा। 15 km ऊंचाई कम करने के बाद 3 km की ऊंचाई से पैसिव डिसेंट होगा। यानी धीरे-धीरे लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा। 700 मीटर ऊंचाई से थ्रस्टर्स तेजी से ऑन होंगे, ताकि इसकी गति को धीमा कर सकें। 20 मीटर की ऊंचाई पर इंजन धीमी गति से चलेंगे। ताकि यह लैंड हो पाए।
Luna-25 चंद्रमा की सतह पर साल भर काम करने के मकसद से गया था। वजन 1.8 टन था। इसमें 31 किलोग्राम के वैज्ञानिक यंत्र लगे थे। एक यंत्र ऐसा लगा था जो सतह की 6 इंच खुदाई करके, पत्थर और मिट्टी का सैंपल जमा करता। ताकि जमे हुए पानी की खोज हो सके। Luna-25 चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास मौजूद बोगुस्लावस्की क्रेटर (Boguslavsky Crater) के पास उतरेगा। इसके पास लैंडिंग के लिए 30 x 15km की रेंज मौजूद है।
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