नई दिल्ली। गुरुवार (10 अगस्त) को मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की तरफ से लाया गया अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में गिर गया। केंद्र सरकार के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव ध्वनिमत से गिरा है। ऐसा इसलिए भी, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बोलने के दौरान ही विपक्षी पार्टियों ने वॉकआउट कर दिया था।
विपक्ष का कहना था कि करीब दो घंटे तक बोलने के बाद भी पीएम मोदी ने मणिपुर का जिक्र नहीं किया। हालांकि पीएम मोदी ने भाषण के आखिरी हिस्सों में मणिपुर पर विस्तृत बयान दिए। पीएम ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा, ”2018 में मैंने नेता सदन के नाते उनको काम दिया था कि 2023 में वो अविश्वास प्रस्ताव लाएं। अब 2028 में लाने का काम उनको दे रहा हूं, लेकिन कम से कम थोड़ी तैयारी करके आएं। ताकि जनता को लगे कि कम से कम विपक्ष के वो लायक है।”
पीएम मोदी ने 2018 में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा था कि विपक्ष 2023 में भी अविश्वास प्रस्ताव लाएगा। अब पीएम मोदी ने एक बार फिर 2024 के चुनाव में जीत के सारे रिकॉर्ड तोड़ने का दावा किया है और कहा है कि विपक्ष 2028 में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएगा।
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने वॉकआउट करने को लेकर कहा, ”मुझे लगा कि पीएम मोदी मणिपुर के मुद्दे पर ‘नीरव’ रहेंगे। ‘नीरव’ रहने के चलते मैंने सोचा कि नया नीरव मोदी देखने को क्या फायदा। इनके दरबारी सारी बात कह चुके हैं। पीएम मोदी जो दोहराते हैं वो ही बात उनके दरबारी कह चुके हैं।” उन्होंने दावा किया कि पीएम मोदी को कांग्रेस का डर सताता है।
बता दें कि विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव पहले से गिरना तय था, क्योंकि बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के पास बहुमत है। वहीं विपक्षी दलों के पास तय संख्या नहीं है। हालांकि विपक्षी दल कहते रहे हैं कि मणिपुर मुद्दे पर पीएम मोदी के संसद में बयान देने को लेकर अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था।
यहां यह भी बता दें कि केंद्र सरकार अविश्वास प्रस्ताव पर हुई वोटिंग में अगर हार जाती, तो पीएम समेत पूरी मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना पड़ता।