नई दिल्ली। बड़ी खबर दिल्ली से आई है। मणिपुर हिंसा से जुड़े सेक्सुअल हैरेसमेंट केसों की जांच को सीबीआई को ट्रांसफर करने के बाद अब इसकी सुनवाई गौहाटी हाईकोर्ट करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मणिपुर हिंसा केस को असम ट्रांसफर कर दिया है।
कोर्ट ने गौहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को ऐसे न्यायाधीशों की नियुक्ति करने का भी निर्देश दिया है ,जो मणिपुर में बोली जाने वाली एक या अधिक भाषाओं से परिचित हों। हालांकि, पीड़ित पक्ष ने केस ट्रांसफर किए जाने का विरोध किया।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनवाई करते हुए मणिपुर की मौजूदा स्थिति को स्वीकार किया। साथ ही क्राइम जस्टिस एडमिनिस्ट्रेशन को निष्पक्षता बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया। बेंच ने कहा कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह कोर्ट गौहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से एक या अधिक न्यायिक अधिकारियों को नामित करने को कहता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी व्यक्तियों की पेशी, रिमांड, न्यायिक हिरासत और हिरासत विस्तार सहित अन्य से संबंधित सभी आवेदन ऑनलाइन ही लिए जाएंगे। यह आदेश, मणिपुर की कोर्ट्स से भौगोलिक दूरी और सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखते हुए दिया जा रहा है। इसके अलावा, अदालत के निर्देश में कहा गया है कि न्यायिक हिरासत मणिपुर की सीमाओं के भीतर ही अधिकृत की जाएगी।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत के सहयोग से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और अन्य डिजिटल इंटरैक्शन की सुविधा के लिए मणिपुर में उचित इंटरनेट सुविधाओं के प्रावधान की गारंटी दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसके निर्देश उन व्यक्तियों को बाधित नहीं करेंगे, जो कार्यवाही के लिए गुवाहाटी में शारीरिक रूप से उपस्थित होना पसंद करते हैं।
सीआरपीसी की धारा 164 के तहत गवाहों के बयान मणिपुर में स्थानीय मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में दर्ज किए जाएं। इसके लिए इन मजिस्ट्रेटों को नामित करने की जिम्मेदारी मणिपुर हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की है।
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि शिनाख्त परेड मणिपुर के मजिस्ट्रेट की देखरेख में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की जाएगी। तलाशी और गिरफ्तारी वारंट जारी करने की प्रक्रिया को जांच अधिकारी की देखरेख में ऑनलाइन आवेदनों के माध्यम से सुव्यवस्थित किया जाएगा।
बता दें कि, मणिपुर हिंसा के दौरान दो महिलाओं को न्यूड परेड कराने और उनके साथ गैंगरेप का वीडियो वायरल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले में लगातार सुनवाई की है। सीबीआई की जांच की निगरानी में सीनियर आईपीएस की निगरानी से लेकर एसआईटी जांच और कमीशन की तैनाती से लेकर अन्य कार्रवाईयां तक सुप्रीम कोर्ट सुनिश्चित कर रहा।
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