आदिवासी समुदाय का देशज ज्ञान एवं जीवन मूल्य अनुकरणीय : राज्‍यपाल

कृषि झारखंड
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  • बीएयू में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों से भारत को गौरवान्वित करने में झारखंड की भूमिका पर सेमिनार का आयोजन

रांची। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि झारखंड वन संपदा की विविधताओं से समृद्ध है। यह एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां वृक्षों की भगवान की तरह पूजा की जाती है। राज्य की आबादी की जीन में वन संरक्षण रचा बसा है। राज्य की कला एवं संस्कृति हमें महानता का बोध कराती है। राज्य के आदिवासी समुदाय की उम्दा जीवन शैली है। उनके देशज ज्ञान एवं जीवन मूल्य अनुकरणीय है। वे 28 अगस्‍त को बतौर मुख्य अतिथि बीएयू में आयोजित एक दिवसीय सेमिनार का उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे। इसका विषय ‘कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों से भारत को गौरवान्वित करने में झारखंड की भूमिका’ थी।

राज्य में अपार संसाधन एवं क्षमताएं

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय और झारखंड राज्य पत्रकार संघ रांची के संयुक्त तत्वावधान में सेमिनार में राज्‍यपाल ने कहा कि राज्य की परंपरागत नृत्य एवं गीत से झारखंड की महान संस्कृति का पता चलता है। राज्य की खनिज संपदाओं का देश की समृद्धि में करीब 30 प्रतिशत योगदान है। सब्जी उत्पादन के मामले में देश का सरप्लस स्टेट है। राज्य में अपार संसाधन एवं क्षमताएं मौजूद है। जरूरत है अवसरों का सही समय, सही जगह और सही तरीकों से सदुपयोग कर राज्य के विकास के साथ भारत देश को गौरवान्वित करने की।

स्टार्टअप को बढ़ावा देने पर बल

राज्यपाल ने कहा कि सेमिनार का विषय वर्तमान संदर्भ में राज्य के लिए एक बड़ी चुनौती एवं प्रेरणादायक बताया। राज्य के विश्वविद्यालयों में अकादमिक कौंसिल प्लेटफार्म के सृजन का समर्थन किया। विश्वविद्यालयों में इस तरह के आयोजन से भावी झारखंड के निर्माण में नयी सोच, नये विचार एवं संसाधनों का उचित उपयोग को बढ़ावा देने की बात कही। विश्वविद्यालयों में राज्य की देशज तकनीकी पर आधारित छोटे- छोटे स्टार्टअप को बढ़ावा देने पर बल दिया। कहा कि हमारे अपने प्रयासों एवं नवीन पहल का महत्त्व है। इस दिशा में राज्य के सभी संसाधनों का राज्य के लोगों के हित में की जानी चाहिए।

किसानों के प्रति संवेदनशील

राज्यपाल ने कहा कि कहा कि किसानों की स्थिति के प्रति प्रधानमंत्री मोदी बेहद संवेदनशील है। उन्होंने पीएम सम्मान निधि से किसानों के लिए 8 हजार प्रति वर्ष सहायता की शुरुआत की। यह निधि छोटी जरूर है, लेकिन इस पहले प्रयास की सराहना की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य के क्रिकेट, हॉकी एवं तीरंदाजी से जुड़े खिलाडियों ने अपने प्रदर्शन से पूरे विश्व में देश का मान बढ़ाया है। खेल के क्षेत्र में संसाधनों को सशक्त कर भारत की गौरवशाली गाथा लिखी जा सकती है।

राज्य का नव निर्माण संभव

राज्‍यपाल ने बताया कि झारखंड को पलायन को बड़ी समस्या नहीं समझनी चाहिए। राज्य की लाखों की आबादी रोजगार की तलाश में देश के अन्य राज्यों में कृषि एवं उद्योग धंधे से जुड़े है। यह आबादी अपने कार्यों में निपुण एवं क्षमतावान है। अपने कार्य क्षेत्र में उन्होंने काफी निपुणता हासिल की है। राज्य नीति में ऐसे क्षमतावान लोगों को स्थानीय उद्योग धंधो एवं कार्यो में सदुपयोग से झारखंड राज्य का बेहतर नव निर्माण संभव होगा।

योगदान के लिए सम्‍मानित

इस अवसर पर राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने झारखंड के विविध क्षेत्रों में असाधारण एवं उत्कृष्ट योगदान के लिए दिलीप बराईक, सीता राम भगत, डॉ अंजू लता, अशोक मिश्रा, डॉ जेडए हैदर, डॉ विजय राज, श्रुति देशमुख, काली चरण सिंह, विकास कुमार मिश्रा, अमरेन्द्र कुमार, संजय कृष्णा, श्रेयसी मिश्रा, सुशील कुमार सिंह, रितेश कच्छप, सत्यदेव मुंडा, मुनिया देवी, आरती सिंह, शत्रुघ्न लाल गुप्ता, दीप्ति कुमारी, तपन कुमार पट्टनायक एवं डॉ सहदेव राम को मोमेंटो एवं प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया। राज्यपाल ने कवियित्री शैल सिंह रचित काव्य पुस्तक ‘अभिव्यंज्जना’ का भी विमोचन किया।

तीरंदाजी-हॉकी को बढ़ावा दें

मौके पर विशिष्ट अतिथि रॉयल बैंक ऑफ स्विट्जरलैंड के कार्यकारी निदेशक गौरव गध्यान ने खेल क्षेत्र में झारखंड की प्रतिभा पर प्रकाश डालते हुए राज्य में तीरंदाजी एवं हॉकी खेल के विकास को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने खेलों के विकास के लिए समुचित संसाधन एवं आधारभुत संरचना के विकास पर जोर दिया।

विशिष्ट अतिथि डीएसडब्ल्यू (आईआईटी-आईएसएम) डॉ एमके सिंह ने भावी झारखंड के निर्माण में सुधारात्मक प्रयास, बेहतर प्रदर्शन एवं परिवर्त्तनकारी विषयों को प्राथमिकता देने की बात कही।

मानव बल का योगदान

मौके पर विशिष्ट अतिथि बीआईटी मेसरा के कुलपति डॉ इंद्रनील मन्ना ने बताया कि देश को गौरवान्वित करने में झारखंड तकनीकी मानव बल से विशेष योगदान दे सकता है। कहा कि देश के अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास में बीआईटी मेसरा का अग्रणी योगदान रहा। इसीतरह एचईसी का भी सेटेलाइट के कल पुर्जों के निर्माण में योगदान है। राज्य में तकनीकी संसाधनों की विशेषताओं एवं उपलब्धता को देखते हुए राज्य के विश्वविद्यालयों के सहयोग एवं समन्वय से अकादमिक कौंसिल प्लेटफार्म की स्थापना की आवश्यता जताई।

उद्देश्यों पर प्रकाश डाला

मौके पर झारखंड राज्य पत्रकार संघ (जेएसजेयू) के कार्यकारी अध्यक्ष स्वामी दिव्य ज्ञान ने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। स्वागत भाषण में कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने झारखंड राज्य के कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में चुनौती, बाधा एवं संभावनाओं की जानकारी दी। धन्यवाद पंकज वत्सल ने दी।

मौके पर ये भी मौजूद

मौके पर भोला नाथ सिंह, अजय नाथ सहदेव,डॉ गोपाल पाठक, एएन मिश्रा, डॉ सुशील कुमार अंकन, किशोर मंत्री, रवि रंजन मिश्रा, एसपी गुप्ता, डॉ एमएस मल्लिक, डॉ सुशील प्रसाद, डॉ डीके शाही, डॉ एमके गुप्ता, डॉ बीके अग्रवाल, ई डीके रुसिया सहित पत्रकारिता जगत की हस्तियां, विशिष्ठ व्यक्ति एवं छात्र – छात्राएं भी मौजूद थी।